Thursday, April 22, 2010

अपनों की बेरुखी से हारा किसान !


                        अपनों की बेरुखी से हारा किसान  !
मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती यह गाना कई वर्ष पहले बॉलीवुड फिल्म उपकार से लिया गया था जिसे गाया महिंद्रा कपूर और इसके बोल लिखे थे गुलशन बावरा ने ....तब शायद उनको भी उम्मीद नही होगी की यह गाना भारत में कई मील के पथर स्थापित करेगी ...1967 में  आया यह यह गाना आज भी  हर   भारतीय के मुंह से कभी ना कभी गुनगुनाने को मिलता है खास कर पंजाब के किसानो कि तो यह जान बन गया है .पंजाब को कृषि प्रधान राज्य कहा जाता है और देश की पंजाब की फसल पर निर्भर करती है और राज्य के किस्सान भी देशवासियों को निराश नही करते और हर वर्ष अपनी धरती से सोना उगालते है  यानि की सुनहरी रंग की फसल गेंहू.........तभी तो किसानो को देश का अन डाटा कहा जाता है इस बार भी सोना पक चुका है और बिकने के लिये तयार है पर मंडियों में इसे सही दाम नही मिल रहे जिस वजह से पिछले कुछ वर्षो की तरह अन दातो को डर सत्य जा रहा है की इस वर्ष भी उनकी पुरे वर्ष की मेहनत वर्षा की बल्ली ना चड जाये क्यूंकि मंडियों में गेंहू पहुंच तो चुकी है पर आदती इसके सही दाम नही दी रहे मंडियों में गेंहू को बचाने की सुक्षित जगह कोई नही है और इन्हें खुले में रखे  जाता है अगर बारिश होती है तो उनकी साड़ी मेहनत खराब हो जायगी .   सरकार को चाह्हिये की मंडियों में पड़ा गेंहू  जल्द से जल्द उठाया जाये और इन्हें सुरक्षित  जगह पर रखा जाये तांकी किसानो की मेहनत पर पानी ना फिरे और गेंहू खराब ना हो राज्य आगे ही दुसरे राज्यों से हर मामले में पिछड़  रहा है पर गेंहू की फसल में हर बार सबसे आगे है पर हर वर्ष सरकार की लापरवाही से हजारो  टन गेंहू खराब होता है कभी बारिश की सूली चदता है तो कभी आढतियो  की जो सही समय पर किसानो को गेंहू के सही दाम नही देते जिससे किसान  अपनी फसल बेच नही पाते और करोड़ो का गेंहू खराब हो जाता है और राज्य सरकार हर बार कोई ना कोई बहाना लगा कर केंद्र सरकार से करोड़ो रूपये की उधारी मागती है और कहती है इस बार फसल अछी  नही हुए. एक शोध के अनुसार हर वर्ष किसान बढिया फसल ना होने की वजह से नही मरते बल्कि मंडियों में अपनी फसल को बर्बाद होते हुए देख कर मरते है क्यंकि वह अपनी फसल को अपने बचो की तरह मानते है  हर वर्ष किसान भूखे  मर रहे है हर वर्ष फसल बढिया होने के बावजूद भी उन्हें सही दाम ना मिलने के करन किसानोई की फसल खराब होती है और गरीबी से तंग आकर आत्महत्या करते है जिस वजह से सरकार का गरीबी हटायो का आन्दोलन उल्टा पड़ कर गरीब हटाओ का साबित हो रहा है .आगे ही राज्य में लगातार पानी की कमी आ रही है और जमीनी स्तर पर पानी लगातार निचे जा रहा है किसानो को अपनी फसल बीजते समय काफी पानी चाहिए . एक शोध के अनुसार एक किलो गेंहू की फसल के लिये तीस लिटर पानी की जरूरत पड़ती है जबली हजारो टन फसल या तो गोदामों में सडती है या तो खुले में बारिश की वजह से खराब होती है अगर इस बार भी सरकार ने समय पर फसल ना उठाये तो फसल खराब हो जायगी.अब देखना यह होगा की सरकार फसल मंडियों  से कब तक उठाती है या इस फिर फिर  खराब होती है और किसान आत्महत्या करते है .

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