Monday, April 26, 2010

आशचर्यजनक ख़ुशी देने वाला रिजल्ट......................

कोलेज मे पहली बार प्री सेमेस्टर परीक्षाओ का रिजल्ट कुछ इस कदर आशचर्यजनक व ख़ुशी देने वाला था की सहपाठियो ,मित्रो और परिवार वालो ने यह  बात मान ही ली थी की मे यूनिवर्सिटी टॉप करुँगी | मुझे भी कही ना कही लग रहा था शायद स्कूल की औसत छात्र कुछ खास कर जाये | प्री सेमेस्टर आने पर दिल और दिमाग से पढाई  की | दिल मे अपने माता - पिता को ख़ुशी दिलवाने की बात थी तो दिमाग मे अपने मित्रो की उमीदो पर खरे उतरने की | परीक्षाएं भी अच्छी गई सभी प्रशनों के  ढंग से उतर दिए , जितना लिख सकती थी उससे कही ज्यादा लिखने की कोशिश की | परीक्षाएं खत्म हुई तब से लेकर  परिणाम आने तक सभी के मान में यह बात थी की गौरी ही टोपर आयेगी , हमे तो सोचना भी नहीं चाहिए | इस  प्रकार कुछ लोग तो ख़ुशी से यह बात मुझसे कहते पर कुछ ईर्ष्या के मारे वही कहते - कहते चले जाते | ऊपर से तो मेरे दोस्त होने का दिखावा पर अंदर से ईर्ष्या , पर उधर मेरे सर हर ईर्ष्या मे मुझे बचाने  मे मेरा साथ देते | हमेशा मुझे समझाते की तुम्हें इन सब बातो पर गौर ना कर आगे बढना है .... टोपर तुम्हे ही आना है | मे भी इस बात पर खुश हो कर सब कुछ भूल जाती | रिजल्ट वाले दिन सर क्लास मे आये और कहने लगे की कल रात मैंने  एक सपना देखा जिस मे तुम मेरे पास भागते हुए अपने टॉप आने की खबर सुनाने आती हो | सर की यह बात सुन सारी क्लास मे बठे मेरे सभी दोस्त मेरी तरफ देखने लगे .....कुछ ख़ुशी से तो कुछ दुखी से ....यह सोच कर की सर को रिजल्ट पता चल गया है बस सपने का बहाना बना कर अभी हम सबको बता रहे है | इस  सपने ने सभी को एक धोके मे डाल दिया पर मुझे एक अलग ख़ुशी का अनुभव करवाया गया | पर यह ख़ुशी कुछ देर के लिए ही थी | कुछ समय  बाद रिजल्ट का पता चला की में यूनिवर्सिटी मे ना तो पहला , दूसरा और ना ही  तीसरा स्थान हासिल कर पाई हूँ | मैंने इस रिजल्ट मे यूनिवर्सिटी मे चौथा स्थान हासिल किया था | यह खबर मुझे सुनाने  , मेरे  दोस्त स्टूडियो मे ख़ुशी से तो जरुर भागते हुए आये लेकिन  कहीं ना कहीं वह भी जानते थे की जो चाहा था वो नहीं हो पाया | उस वक्त बाकि सभी मेरे दोस्त , मेरे सिनियर्स मुझे मुबारक बात दे रहे थे ......पर मुझे समझ नहीं आ रहा था की खुश होकर बाकियों की तरह अपनी अधूरी जीत का जशन मनाऊँ जा अपनी आधी हार का गम | पर अपने सर के कहने पर जब मैंने यह खबर अपने पापा को बताई  तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा | पापा के बाद मुझमे इतनी हिम्मत नहीं थी की मम्मा को फोन कर यह बता सकूं , पर पापा का फोन रखने  के बाद मम्मा का फोन खुद ही आ जाता है और पहली  बार मैंने अपनी मम्मा को मेरे लिए ख़ुशी से रोते हुए देखा | उस पल ने मुझे रुलाया जरुर पर मुझे यह एहसास दिलाया की जितना हो सके मुझे अपने मम्मा - पापा को इसी तरह ख़ुशी से अपने लिए बार - बार  रोते हए देखना है | 
अब दूसरे सेमस्टर कई परीक्षाएं आने वाली है ...प्लीज मेरे लिए भागवान से प्रार्थना करना की मेरे मम्मा -पापा मेरे लिए ख़ुशी से इक बार फिर रो पड़े और मुझे फिर एक नया गिफ्ट मिले  |  
तभी तो कहता हु की मेरे देश में ऐसा भी होता है ..............
  
    लेखक - गौरी दुग्गल                
    धन्यवाद पंकज कपाही                                                                                                                                    

Thursday, April 22, 2010


जिन्दगी निकल जाती है रूठने मनाने में !
कहते है झगड़ा अक्सर वही होता है jha  प्यार होता है और झगड़े से प्यार और भी बड़ता है दोस्तों के साथ छोटी छोटी बातो पर लड़ना और फिर उन्हें मनाना सच में बड़ा मजा आता है और यह दिन ज्यादातर कलज और स्कूल में ही होते है तब पढाई के इलवा कोई और सिरदर्दी नही होती
मै जब दोआबा कालज में पड़ने गया तो मन में मीडिया में आने की कई उमीदे थी तब मेरे कई दोस्त बने शुरूआती दिनों में सबसे पहले मिशा अवतार और जतिन मेरे दोस्त बने इनके साथ सारा दिन खूब गपे मारनी पर आपस में लड़ते रहना कभी बंक मार कर तलं घुमने चले जाना तो कभी खी और गेदी लगाने जाना तब मै पहली बार लडकियों के साथ इतना घुला मिला था इस वजह से मै भावुक होकर लडकियों से जयादा बाते करता और अक्द्र मुझे लडकिय गलत समझ लेती शू में मैंने अपनी क्लास की एक लडकी को बता दिया की मुझे अपन क्लास की ही चे लडकिय पसंद है उपर से मै अपनी क्लास छोड़ कर बड़ी क्लास की लडकियों से ज्यादा बाते करने लगा जिस वजह से मेरी छवि लडकियों में खराब होगयी और मुझे लडकिय प्ले बॉय समझने लगी उपर से मैंने रक नाटक किया जिसमे मुझे श्रभी का पात्र मिला मै इस पात्र में इस तरह से खो गया की मेरे चलने और बोलने का ढंग शराबियो की तरह हो गया उपर से मेरी आँखे श्रभी जेसी लगती थी आवाज तो मासाहल्लाह वेसे ही खूब है तो अब मुझे लडकिय प्ले बॉय के साथ साथ श्रभी भी समझने लगी यह तो भगवान का शुक्र है की तभी मुझे मेरे सबसे प्यारे यार बने जिनके साथ आज हम अपने डिपार्टमेंट में अस असा पी के नाम से जाने जाते है अरे भी वो पुलिस वाले अस अस पी नही बल्कि..........  यानि की साहिल शिवम् और  पंकज हम जब भी कालज जाते इकठे जाते सारा दिन इकठे रहते जिससे अक्सर सभी जलते खासकर हमारी क्लास की हूलपरिया यानि लडकिया  हम तीनो बिना किसी की प्रवाह किये खूब मस्ती करते अगर किसी बात पर नाराज भी हो जाते तो शाम तक एक दुसरे को फोन कर मना लेते और परीक्षा के दिनों एक दुसरे को बोलते यार कुछ नही आता कसम से कल तो पड़ा ही नही गया और सेल कमीने परीक्षा में खूब लिखते दोनों हस्तल में इकठे रह कर पड़ लेते उपर से परीक्षा के दिन कालज मी आकर किसी को न पड़ने देते क्योंकि वो तो लगातार सब कुछ अची तरह से पड़ कर आयी होते 
अब हमारा तीसरा स्मेश्तेरे था और इसमें नई विधार्थी आये थे सभी ने प्लान बनाया ता की जिस तरह से हमारे सीनिर ने हमारी कशा की लडकिया फसाई थी हम भी वेसे ही फसेंगे पर गोर तलब है की तीनो को को९ भी लडकी पसंद ही नही आयी और हमारी उमीदो पर पानी फिर गया इस दोरान हमारे कालज में डेल्ही से आये कुनाल सर ने फिल्मो को बारीकिय समझाने के लिए पन्द्रह दिन की वर्कशाप लगाई जिसमे सिर्फ सदी क्लास ही शामिल हो सकती थी मै ढके से इस सेमीनार में शामिल हो गया और यह मेरे दो बनये दोस्त बने पूजा और करिश्मा  to be continued..................................
INTERVAL

अपनों की बेरुखी से हारा किसान !


                        अपनों की बेरुखी से हारा किसान  !
मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती यह गाना कई वर्ष पहले बॉलीवुड फिल्म उपकार से लिया गया था जिसे गाया महिंद्रा कपूर और इसके बोल लिखे थे गुलशन बावरा ने ....तब शायद उनको भी उम्मीद नही होगी की यह गाना भारत में कई मील के पथर स्थापित करेगी ...1967 में  आया यह यह गाना आज भी  हर   भारतीय के मुंह से कभी ना कभी गुनगुनाने को मिलता है खास कर पंजाब के किसानो कि तो यह जान बन गया है .पंजाब को कृषि प्रधान राज्य कहा जाता है और देश की पंजाब की फसल पर निर्भर करती है और राज्य के किस्सान भी देशवासियों को निराश नही करते और हर वर्ष अपनी धरती से सोना उगालते है  यानि की सुनहरी रंग की फसल गेंहू.........तभी तो किसानो को देश का अन डाटा कहा जाता है इस बार भी सोना पक चुका है और बिकने के लिये तयार है पर मंडियों में इसे सही दाम नही मिल रहे जिस वजह से पिछले कुछ वर्षो की तरह अन दातो को डर सत्य जा रहा है की इस वर्ष भी उनकी पुरे वर्ष की मेहनत वर्षा की बल्ली ना चड जाये क्यूंकि मंडियों में गेंहू पहुंच तो चुकी है पर आदती इसके सही दाम नही दी रहे मंडियों में गेंहू को बचाने की सुक्षित जगह कोई नही है और इन्हें खुले में रखे  जाता है अगर बारिश होती है तो उनकी साड़ी मेहनत खराब हो जायगी .   सरकार को चाह्हिये की मंडियों में पड़ा गेंहू  जल्द से जल्द उठाया जाये और इन्हें सुरक्षित  जगह पर रखा जाये तांकी किसानो की मेहनत पर पानी ना फिरे और गेंहू खराब ना हो राज्य आगे ही दुसरे राज्यों से हर मामले में पिछड़  रहा है पर गेंहू की फसल में हर बार सबसे आगे है पर हर वर्ष सरकार की लापरवाही से हजारो  टन गेंहू खराब होता है कभी बारिश की सूली चदता है तो कभी आढतियो  की जो सही समय पर किसानो को गेंहू के सही दाम नही देते जिससे किसान  अपनी फसल बेच नही पाते और करोड़ो का गेंहू खराब हो जाता है और राज्य सरकार हर बार कोई ना कोई बहाना लगा कर केंद्र सरकार से करोड़ो रूपये की उधारी मागती है और कहती है इस बार फसल अछी  नही हुए. एक शोध के अनुसार हर वर्ष किसान बढिया फसल ना होने की वजह से नही मरते बल्कि मंडियों में अपनी फसल को बर्बाद होते हुए देख कर मरते है क्यंकि वह अपनी फसल को अपने बचो की तरह मानते है  हर वर्ष किसान भूखे  मर रहे है हर वर्ष फसल बढिया होने के बावजूद भी उन्हें सही दाम ना मिलने के करन किसानोई की फसल खराब होती है और गरीबी से तंग आकर आत्महत्या करते है जिस वजह से सरकार का गरीबी हटायो का आन्दोलन उल्टा पड़ कर गरीब हटाओ का साबित हो रहा है .आगे ही राज्य में लगातार पानी की कमी आ रही है और जमीनी स्तर पर पानी लगातार निचे जा रहा है किसानो को अपनी फसल बीजते समय काफी पानी चाहिए . एक शोध के अनुसार एक किलो गेंहू की फसल के लिये तीस लिटर पानी की जरूरत पड़ती है जबली हजारो टन फसल या तो गोदामों में सडती है या तो खुले में बारिश की वजह से खराब होती है अगर इस बार भी सरकार ने समय पर फसल ना उठाये तो फसल खराब हो जायगी.अब देखना यह होगा की सरकार फसल मंडियों  से कब तक उठाती है या इस फिर फिर  खराब होती है और किसान आत्महत्या करते है .

हर बार चुनावो के दोरान होता है खिलवाड़ !


हर बार चुनावो के दोरान होता है खिलवाड़ !
पंजाब विधानसभा चुनावो को अभी २ साल बाकी है | विपक्ष में बैठे कांग्रेसियो ने अपने अपने हलके में दुआरा  से चुनावी तेयारिया करनी शुरू कर दी है | कांग्रेस के उम्मीदवार  जो इन चुनावो में अपनी किस्मत अजमाना चाहते है उन्होंने नुकड़ बैठके करके तथा लोगो के घरो में जाकर सम्बन्ध बनाने शुरू कर दिए है | चाहे पंजाब कांग्रेस त्रिकोनी रूप धारण कर चुकी है | एक और पूर्व मुख्या मंत्री केप्टन  अमरिंदर सिंह दुसरे और विपक्ष की नेता राजिंदर कौर भठल  तथा तीसरे तरफ पंजाब कांग्रेस के प्रधान  महिंदर सिंह के. पी. है | कांग्रेस के जो उम्मीदवार टिकट के चाहवान है वो इन तीन लोगो के सम्पर्क में रहकर टिकट के ऊपर अपनी दावेदारी जता सकते है | आने वाले समय में ही यह पता लग पायेगा की कांग्रेस हाईकमान किसके हाथ में पंजाब की कमान थमाती है | अभी तक तो कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब कांग्रेस प्रधान  की जिमेदारी  किसी के सिर पर नहीं दी है |इस बार विधानसभा चुनावो में यह बात देखने योग्य होगी की राहुल गाँधी कितनी युवा पीडी को चुनावो में उतारते है | लोकसभा चुनावो में उन्होंने पंजाब में तीन युवाओ को चुनावो की टिकट दी थी | जिनमे से दो सीटो को जीतकर इन यूवाओ ने राहुल गाँधी का हौसला बढाया था | दूसरी तरफ भाजपा और अकाली दल ने भी अपने उमीदवारो को उतारने के लिये विशेष रनरीती बना रहे है तांकी कांग्रस  को मात दी  जाये . कांग्रेस पार्टी भी  इस बार उन गलतियों को सुधराना में लगी है  जो गलतियाँ उन्होंने पिछले विधानसभा  चुनावो में की थी और उनको हार का मुह देखना पड़ा था | वैसे तो चुनावो को नजदीक देख आते हर एक चुनावी पार्टिया वादे करती रहते है | परन्तु चुनाव ख़तम होते ही अपने हलके में से उम्मीदवार गायब हो जाते है | बड़ी बड़ी रेलियो  में चुनावो के दोरान   राजनितिक पार्टी के नेता मुफ्त बिजली देने का, किसानो को अधिक सहुलते पर्दान करवाना; शहर की मुश्किलों को पहल के अधार पर देखना जैसे वादे करते है परन्तु चुनाव जीतने के बाद सभी लाल बतियो वाली कारो में आराम से घूमते है और सरकारी कोठियो में जाकर डेरे डाल लेते है | यह सरकारी कोठियो में रहने वाले मंत्री क्या दर्द जाने जो की झुकी झोपडियो में गरीब लोग रहते है जिनसे उन्होंने चुनावो के दोरान  झूठे वादे करके वोट लिए और उनको झूठे सपने दिखाए | चुनाव ख़तम होते ही यह मंत्री इन गरीबो का दर्द भूल जाते है | कहा जाता है की गरीब लोगो को वोट पैसे ही लेकर डालनी चाहिए क्यूंकि चुनावो के बाद कोण सा  उनकी किसी ने सुननी  है और न उनका कोई काम होना है | इसलिए जो पैसे उनको चुनावो के समय  मिलते है वही  पैसे उनके अपने है | मै मजाक नही कर रहा आपने खुद हर बार देखा होगा की चुनाव  के समय यह मंत्री आम जनता को खुश करने के लिये तांकी उनसे वोट हथिया सके उन दोरान करोड़ो रूपये खर्च एसे ही करते है तांकी उनको वोट मिल सके  तभी तो चुनावो के समय  तो खूब दारू की पेटीया   चलती है  और खूब नोटों की वर्षा होती है.  गरीबो की वोट शरेआम   खरीदी जाती है. मै तो यु कहूंगा की कहने को तो भारत एक लोकतंत्र सरकार है पर सब जानते है की देश में कितनी लोक्त्नत्र्ता देखने को मिलती है . आप भी जानते है की लोक सभा या विधानसभा के चुनावो में कितने आम लोग प्रतिनिधि के तोर पर खड़े हो सकते है हर वर्ष परिवारिक गद्दी ही अपने बच्चो  को हर पार्टी सौप रही  है चाहे  उसका कोई कार्यकर्ता पार्टी के लिये कितनी भी सेवा कर ले और चाहे वो उस पद के काबिल हो   फिर भी वहा भी भी सियासत ही चलती है | मै आपसे सवाल करता हु सरकार हर वर्ष नरेगा जसी कई स्कीमो पर पैसा खर्च करती है पर कभी किसी गरीब से  पुचा गया है की आपको नरेगा या उससे तमाम स्कीमो के बारे में कितनी जानकारी है . ज्यादातर गरीबो को मिड डे या नरेगा के बारे में तो कोई जानकारी भी नही है .तभी तो हर वर्ष इनका यह पैसा सभी मंत्री अपने अपने दर्जे के हिसाब से खाते है .

लेखक                                                                                                                            ध्नयवाद  
साहिल गुप्ता                                                                                                                     पंकज कपाही 

Tuesday, April 20, 2010

किस्मत पर टिकी इंसान की ज़िन्दगी !


इंसान की ज़िन्दगी केवल किस्मत पर ही नहीं टिकी है . इंसान चाहे तो कुछ भी कर सकता है समाज मे कई ऐसे लोग है जो किस्मत पर विशवास किये बिना ही मेहनत से जिंदगी को बड़ी ख़ुशी से जी रहे है . समाज मे कई ऐसे लोग है जो मेहनत करके ऊचा मुकाम हासिल कर चुके है . इंसान मेहनत करके अपनी किस्मत को बदल सकता है और जिंदगी को पूरी ख़ुशी से जी सकता है
भारत एक परम्परावादी देश है जहा लोग अक्सर धर्म - कर्म और किस्मत मे विशवास रखते है उनका हर काम किस्मत पर ही छोड़ देता है पर इंसान जिंदगी में जो सोचता है वो कभी होता नहीं है जिससे वह हर समय निराश रहता है
वह सारा समय सोच मे ही निकल देता है की उसकी किस्मत मे अगर कुछ होगा तो मिल जायेगा जिस कारण वह मेहनत करने से पीछे हट जाता है और अपनी ज़िन्दगी से निराश हो कर सोचता रहता है की वह कामजाब क्यों नहीं हो रहा , उसको लगता है उसको सब कुछ अपने आप ही मिल जायेगा
अगर वह काम करता भी है तो तक़दीर उसका साथ छोड़ देती है जिससे इंसान फिर अपनी किस्मत को कोसने लग जाता है की उसकी किस्मत ही खराब है जिस कारण वह कामजाब नहीं हो पा रहा
जिससे इंसान टूट जाता है
लोगो से अक्सर यही बात सुनने को मिलती है की उसका लड़का कामजाब नही हो पाया उसकी किस्मत ही खराब है जो यह कामजाब नहीं हो पा रहा है , उसके लड़के को नोकरी नहीं मिलती ,शादी नहीं हो रही या परिवार मे कोई काम सही नहीं हो रहा है तो इसका दोष सीधा किस्मत को ही दिया जाता है की अगर हमारी किस्मत अच्छी होती तो आज यह दिन देखने को नहीं मिलता
पर यह सब गलत बाते है इंसान की ज़िन्दगी केवल किस्मत पर ही नहीं टिकी है इंसान चाहे तो कुछ भी कर सकता है समाज मे कई ऐसे लोग है जो किस्मत पर विशवास किये बिना ही मेहनत से जिंदगी को बड़ी ख़ुशी से जी रहे है
इंसान ही अपनी किस्मत को खुद बनाता और बिगड़ता है




लेखक                                                                                  धन्यवाद

करिश्मा खोसला                                                                  पंकज कपाही

Monday, April 19, 2010

किसी समय में मीडिया को देश का चोथा स्तम्ब कहा जाता था..........

किसी समय में मीडिया को देश का चोथा स्तम्ब कहा जाता था उसकी दिखाई खबर की हकीकत माना  जाता था और लोग खबरों पर अम्ल करते थे पर पिछले कुछ समय से न्यूज  चेनल चोबीस घंटे होने से मीडिया का स्तर गिरा है. जिससे अब सही समाचार दिखने की बजाय मसला दिखाया है . मै खुद पिछले डेड वर्ष से जालंधर में इलेक्ट्रोनिक मीडिया के साथ जुड़ा हुआ हूँ और महसूस  किया है की चार - पांच पत्रकारों के इलावा किसी को स्क्रिप्ट भी नही लिखनी आती | पत्रकार एक दुसरे से स्क्रिप्ट मांग कर अपने चैनेल को भेज देते है | यह तो हाल हुआ पत्रकारों को .इनके इलावा चैनल खबरों को सही दिखने की बजाय मसला लगाते और सनसनी दिखाते नजर आते है अगर कही किसी की हत्या हो जाये तो चेनल खबर मांगने की बजाय उस हत्या की प्रोफिल को त्ब्जो देते है अगर प्रोफिल लो हो तो पत्रकार को खबर करने से मना कर देते है अगर उसी खबर में किसी सेलिब्रटी का नाम आये तो आपको पता ही है ............. तो  मीडिया मसालेदार खबरे लगातार दिखता  है. इसकी क्या वजह है की आज कहने को तो २४ घंटे न्यूज़ चैनेल  है पर इन नेशनल  चेनल  को देखा जाये तो इसमें कितनी देर सही  खबर दिखाई जाती है अगर सुबह से ही बात की जाये तो पहले आधा  घंटा क्रिकेट को कार्यक्रम की तरह दिखाया जाता है. बाद में तीन देविया या पंडित लोगो को गुमराह करता है फिर बॉलीवुड मूवी या सीरियल दिखाए जाते है आजकल लाफ्टर चेनल भी दिखाए जाते है उसके बाद लोगो को डराने वाली सनसनी खबरे दिखाई जाती है | सारा दिन बार - बार इन्हें ही रपीट किया जाता है . अगर कोई सेलिब्रटी कुछ  बोल दे तो उसको घसीटना शुरू कर द्वेते है बजाय की देश की समस्यों को दिखाया जाये इसके अलावा अगर देश में बजट पास होता है तो उसे दिखाने की बजाय दूसरी मसालेदार खबरों  को घसीटना शुरू कर देते है यही हुआ है नक्सलवाद और सानिया मलिक की शादी की खबर पर.मुझे याद है जब रजत भाटिया ने इण्डिया टी वी शुरू किया था तो उन्होंने कहा था मुझे मुंह में माइक ध्क्लेने वाले रिपोर्टे नही चाहिए मुझे सही पत्रकार चाहिए जो ख़बरों की हकीकत को दिखाए | आज आप इंडिया टी वी का हाल  देख सकते है चाहे उसकी टी आर पी सबसे  आगे है पर लोग उस चेनल  को मनोरंजन की तरह देख कर हस्ते है |. आज चाहे मीडिया ने इतनी तरक्की कर ली है पर लगातार इसका स्तर निचे गिरा है और खबर को ब्रेकिंग करने के लिये देश की सुरक्षा पर भी खतरा साबित होता है २६/११/२००८ को मुंबई पर आंतकवाद हमला इसका गवाह है लोगो का लगातार मीडिया पर विश्वास उठता जा रहा है और मीडिया के दुरपयोग होने से लोगो ने मीडिया से डरना शुरू कर दिया है |

Friday, April 16, 2010

रिश्तो की हत्या !


रिश्तो की हत्या !




भारत अपनी सभ्यता और संस्कृति के लिये शुरू से ही  जाना जाता है चाहे बात राम युग की करे जिसमें  एक बाप की कसम की खातिर बेटे ने बिना पूछे चोदह वर्ष का बनवास काटा हो और भाई और पत्नी ने भी अपना महल छोड़ बनवास में जाना पसंद किया या बात करे सीखी को बचाने के लिये अपने पिता गुरु तेग बहादुर जी को शहीदी के लिये गुरु गोबिंद सिंह जी का कहना !  उस समय  भारत  में सबसे ज्यादा रिश्तो को अहमियत दी जाती थी पर मेरा मानना  है की वक्त  बदलने के साथ  - साथ रिश्ते भी खत्म होते जा रहे है ओर रिश्तो से विश्वास उठता जा रहा है | लगातार समाचारों में पड़ने को को मिल रहा है की अपनी मुंह बोली बहन के साथ बलात्कार करता पकड़ा जाता है माँ अपने बच्चो  को जहर देकर  मार रही है बाप अपनी बेटी के साथ मुंह कला करता पकड़ा जाता है  तो कभी बेटा अपने बूढ़े माँ - बाप को घर  से बाहर निकाल  देता है | कल ही बठिंडा  में एक मासी ने पैसों की लालच में अपने भांजे का कत्ल कर दिया .अगर अपने ही इस तरह से विश्वासघात करेंगे तो दुसरो पर केसे  विश्वास रहेगा | कही ना कही भारत अब पहले जेसा  नही रहा यहाँ  के लोग रिश्तेदारी को खत्म करते जा रहे है  मैंने अक्सर देखा है की आपके दोस्त और रिश्तेदार तभी आपके पास आयेंगे जब उनको आपकी जरुरत  पड़ेगी इससे पहले तो वो आपको मिलना तो दूर बुलाना भी पसंद नही करेंगे अगर कही आपके खास रिश्तेदार आपसे दोलत में आगे निकल गये है तो वह एकदम से आपको भूल जायेंगे और अगर कल को आप कुछ  बन जाते है तो वह फिर बिना किसी श्रम के दोबारा आपके पास अपना काम निकलवाने के लिये आयेंगे और बोलेंगे की यह हमारा रिश्तेदार है हमारा बच्चा  है फिर वह आपको बुलाना पसन्द करंगे क्या सच में हमारे देश का सभ्याचार इतना बदल चूका है की रिश्ते अब मतलब के लिये रह गये है कहा गया मेरा भारत जो अपने रिश्तो और सभ्याचार के लिये जाना जाता था चाहे आज हम अंग्रेजो से आजाद होकर काफी तरकी कर रहे  है पर पीछे मुद कर देखे तो  हम अपने रिश्तो को बहुत पीछे छोड़ आये है !

शहर में बेखोफ लुटेरे !



जालंधर शहर में चाहे लगे कमिश्नर प्रणाली या अस अस पी प्रणाली !   चाहे हो मुलाजिमो के तबादले  ! प्रशासन कुछ भी करे पर शहर से लूट, चोरी छीना - छपटी की वारदाते कम होने का नाम नही ले रही है .अब शहर भी मेट्रो सिटी की तरह ही बन रह है भईमै अपने शहर की तरक्की की बात तो कटे नही कर रहा मै तो आपको बताना चाहता हु की हमारा शहर मेट्रो सिटी की तरह ही चोरो की चोरी करने की तरह ही बन रहा है  शातिर लुटेरे बिना किसी खोफ से अपना काम बखूभी से  निभा रहे है. तभी तो पिछले दिनी उनको किसी फेअक्ट्री में चोरी  करते समय सी सी कमरे का भी डर नही लगता  और चोरी  की वारदात को बड़े प्यार से आराम से कमरे की तरफ देख कर बिना अपना मुंह ढके   चोरी अंजाम देते नजर आये.  शहर  में  इनको ढूंढे और चोरी की वारदातों को कम करने की बजाय हर बार आला अधिकारियो पर गाज गिरा दी जाती है और इनके तबादले कर दिए जाते है . आम  जनता की सुरक्षा हर बार राम भरोसे रह जाती है अब तो दोपहर और शाम के समय घर से निकलना मुश्किल हो गया है निकलते समय हर किसी के मन में यही डर रहता है की पता नही उनके साथ कहा क्या हो जायगा कभी वह दुर्घटना का शिकार होते है तो कभी स्नीचिंग का ....... ज्यादा चोरियों के बाद आला अधिकारियो के तबादले कर दिए जाते है और आये नये पुलिस अधिकारियो  के काम को लेकर एक बार फिर लोगो में  सुरक्षा की नई किरण नजर आती है और वो अधिकारी भी इनकी उमीदो पर खरे उतरने की कोशिश करते है  और वह शुरू में पुरे जोश और उत्साह से काम करते है शहर के हर तरफ   नाक्ब्न्दी  लगाते है पर नाजने क्यों कुछ दिनों बाद वह फिर सुस्त हो जाते है और यह लुटेरे  फिर जाग जाते है अपनी काम को अंजाम देने के लिये .


क्या सानिया- मलिक की शादी के बाद दोनों देशो के रिश्ते सुधर पाएंगे !



  • कई विवादों के बाद आखिरकार पाकिस्तानी क्रिकटर शोएब मलिक के साथ भारतीय टेनिस स्टार सानिया मिर्जा शादी के पवित्र  रिश्ते में बंध ही गये . सानिया और विवादों का चोली दमन का साथ शुरू से ही रहा है चाहे उनकी मिनी स्कर्ट को लेकर .......मन की उनकी खेल में स्कर्ट छोटी चलती है पर उसे भी चाहिए था की कद से ज्यादा छोटी स्कर्ट ना डाले ................. तो  क्या अब  इनकी शादी होने से दोनों देशो के बीच तनाव कम हो पायेगा या सानिया की वजह से कोई और नया विवाद देखने को मिलेगा....यह तो आने वाला समय ही बतायेगा  अब सवाल यहा है की क्या इनकी शादी होने के साथ दोनों देशो के रिश्तो में सुधार देखने को मिलेगा  या फिर दोनों देशो के तनाव के कारण इनका रिश्ता टूट जायगा .क्यूंकि  सानिया के खेलने को लेकर दोनों देशो में उलझन  बनी हुयी है हालाँकि सानिया ने साफ़ कर दिया की वह भारत की तरफ से खेल्गी  या पकिस्तान की तरफ से ......... पकिस्तान की अवाम चाहती है की सानिया पकिस्तान की तरफ से खेले . इसमें पकिस्तान की  सियासी पार्टियों ने भी अभी से अपनी रोटिय सेकनी शुरू कर दी है और उनकी भी यही मांग है की वह पकिस्तान की भू है तो अब पकिस्तान की तरफ से खेले . कही इनकी शादी की  वजह से दोनों देशो के  रिश्ते में कश्मीर के मुदे की तरह ही कोई  विवाद ना हो जाये .जिसे कश्मीर की तरह सुलझाया ना जा सके और दोनों देश फिर आपस में लड़ते रहे खैर जो भी हो सानिया मलिक की शादी ने एक बार फिर दोनों देशो के सम्बन्ध में मिठास लेन की कोशिश की है दूसरी तरफ भारत के लाखो युवाओं  का दिल तो पहले ही सानिया ने पकिस्तान क्रिकटर के साथ शादी कर तोड़ ही दिया है अब आने वाले में यद देखने लायक होगा की इतनी शादी कितनी देर टिक पाती है और इनकी दोनों देशो के रिश्तो को केसा बनती है पर यह बात तो पका है की सानिया आने वाले दिनों में एक बार फिर से मीडिया की सुर्खिया खूब बटोरेगी और भविष्य में भारत -पाक रिश्ते में अहं भूमिका निभेगी !



कबड्डी के टूर्नामेंट से दुसरे खेलो को भी बढ़ावा मिलेगा !


tha tha mardi ma khel kbaddi
  
पंजाब में आई. पी. एल की तर्ज आई. के. अल शुरू किया गया. यानि इंडियन कबड्डी लीग जिसमे पहली बार पंजाब में कबड्डी का विशव टूर्नामेंट करवाया गया. किसी को उम्मीद भी नही थी की क्रिकट को कोई और खेल भारत में इतना पसंद किया जा सकता  सकता है.  बड़े गर्व की बात है की हमारी माँ खेल कबड्डी को यह मुकाम हासिल हुआ जिसे देखने के लिये हजारो की क्दाद में दर्शक  आये और सारे स्टेडियम पुरे बहरे नजर आये और लोगो ने कबड्डी के इस खेल को काफी प्रोत्साहित कर पसंद किया और टी,व् पर भी क्रिकट की टी आर पी से ज्यादा कबड्डी की टी आर पी देखने को मिलेगी इससे दूसरी खेलो और उनके खिलाडियों को भी काफी प्रोत्साहन मिला होगा की अब क्रिकट के इलावा देश में दूसरी खेलो को भी पसंद किया जा सकता है और उनमे रक नई उम्मीद की किरन नजर आये होंगी की अब शायद हमारी खेलो में भी सुधर देखने को मिले इस तरह से सरकार की तरफ से करवाया गये कबड्डी का टूर्नामेंट सरकार की तरफ से सच में बड़े प्रशसनीय  उपराला है