लादेन ने फिर दी अमेरिका को धमकी
दुनिया के सर्वाधिक वांछित आतंकी ओसामा बिन लादेन ने अमेरिका को फिर धमकी दी है। ओसामा ने कहा है कि यदि वर्ष 2001 के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले की जिम्मेदारी लेने वाले खालिद शेख मुहम्मद को सजा-ए-मौत दी गई तो अल कायदा अपनी कैद में मौजूद अमेरिकी सैनिकों समेत सभी बंधकों को मार देगा। अल जजीरा टीवी पर गुरुवार को प्रसारित आडियो टेप में ओसामा ने कहा, जिस दिन अमेरिका खालिद मुहम्मद और अन्य को मौत की सजा देने का फैसला करेगा उसी दिन हम उन तमाम लोगों को खत्म कर देंगे जो हमारे कब्जे में हैं। ओसामा ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रपति जार्ज बुश के नक्शेकदम पर चल रहे हैं। उसने कहा, ह्वाइट हाउस के राजनेता हमारे खिलाफ अन्याय करते आ रहे हैं और वह अब भी जारी है। खासकर फलस्तीन में इजरायलियों के कब्जे का समर्थन कर के। जब तक हमारी जोरदार आवाज अल्लाह की मदद से 9/11 को उनके घर पर सुनाई नहीं दी थी तब तक वे सोचते थे कि समंदर के उस पार अमेरिका जुल्म के शिकार लोगों के गुस्से से सुरक्षित है। ओसामा की यह धमकी ओबामा प्रशासन द्वारा खालिद मुहम्मद व अन्य चार अभियुक्तों पर न्यूयार्क स्थित उस अदालत में मुकदमा चलाने की घोषणा के बाद आई है, जहां से चंद कदमों की दूरी पर कभी वर्ल्ड ट्रेड सेंटर हुआ करता था। खालिद व अन्य अभियुक्तों को गुआंतानामो जेल में रखा गया था। ये सभी 11 सितंबर 2001 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के अभियुक्त हैं। इससे पहले ओसामा का आखिरी आडियो टेप इसी साल 24 जनवरी को जारी किया गया था। उसमें एक अमेरिकी विमान में विस्फोट की कोशिश की जिम्मेदारी ली गई थी और कहा गया था कि यदि ओबामा फलस्तीन मुद्दे के समाधान के लिए कदम नहीं उठाते तो अमेरिका पर और हमले होंगे
Wednesday, October 27, 2010
Wednesday, September 15, 2010
ਕੁਸ਼ਤੀ ਦੀ ਸ਼ਾਨ ਕਰਤਾਰ ਪਹਿਲਵਾਨ
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Thursday, July 29, 2010
कालज और युनिवर्सटी की गलती ने हमसे हमारा दोस्त जुदा कर दिया
कालज और युनिवर्सटी की गलती को सजा कोन सजा देगा !!!!!!!!!!
हमारा दोस्त हमसे जुदा कर दिया
अक्सर आपने सुना होगा की युनिवर्सटी या कालज में स्टुडेंट लापरवाही करते है जिसके बाद कालज और युनिवर्सटी उनको सजा अपने रुल के मुताबिक दे देती है पर आगे युनिवर्सटी या कालज प्रशासन गलती करे तो उन्हें सजा कोन देगा . इस बार जो युनिवर्सटी या कालज ने जो लापरवाही की शायद कभी माफ़ ना करने वाली थी. और इनका अपना गुंडाराज है इनको सजा देने की भला स्टुडेंट के पास ताकत कहा है . उन्होंने तो सीधा हमारा दोस्त हमसे जुदा कर दिया जो सबसे प्यारा और सबका दुलारा था. इनकी गलती ने किसी का साल और लाखो रुपए खराब कर दिया . और शायद किसी की अटूट यादो क सहारे कितनो को छोड़ दिया .
दोआबा कालज में मै अभी पत्रकारिता की पड़ाई कर रहा हु . और पिछले वर्ष हमारे युनिअर आये. जिनमे मथुरा से आया अतुल...... कब हमारे सब के बीच हमारे छोटे भाई जैसा बन गया पता ही नही चला ....... उसकी शरारते उसका दिमाग और अपनी बातो से सबका दिल जितने की अदा ने ही डिपार्टमेंट में उसे सबका दुलारा अतुल को बना दिया .और सभी अध्यापको को भी यह कहने पर मजबूर कर दिया की अगर शरारते सीखनी तो अतुल से सीखो. पड़ाई करनी तो अतुल से सीखो . सबसे अलग था वो . उसके पिता जी का देहांत हो गया था जिसके बाद घर चलाने की सारी जिमेदारी उसकी मां के कन्धो पर आ गयी थी .....अतुल अक्सर कहा करता की मुझे अपने रिश्तेदारों से प्यार नही मिला सिर्फ आप सब ने प्यार दिया . पता नही कैसा था वो पुरे डिपार्टमेंट से प्यार पा रखा था उसने ........... पर कालज ने किया क्या पहले तो अपने स्टुडेंट की संख्या बढ़ाने के लिये उसको एडमिशन दे दी पर बाद में पेपर के कुछ दिन पहले उसे बोल दिया की तुमने जहा बाहरवी की परीक्षा दी है वो युन्वर्स्टी रेकोग्नाएज नही है तुम्हारी बाहरवी की पडाई नही मानी जायगी . फिर कालज वालो ने कहा तुम अपनी जिमेदारी पर परीक्षा में भैठ सकते हो कल को कुछ हुआ तो हम तुम्हारी जिमेदारी नही लेंगे .अतुल ने परीक्षा दी और जहा . फिर भी उसने अछे नम्बर लिये . परेशान अतुल ने आखिर मन बना लिया की वह कालज छोड़ ही देगा और उसने नॉएडा में जागरण insitute में दाखिला ले लिया और छोड़ गया हम सबको अपनी यादो के सहारे .........सच में एसा अतुल कभी नही मिलेगा हमे .......... कालज ने अपने पैसे कमाने के लिये किसी की जिन्दगी के साथ खिलवाड़ किया बचो को हर गलती पर सजा देने वालो को अपनी गलती की सजा कोन दे सकता है . हमारा दोस्त हमसे जुदा कर दिया
डेल्ही की बस के लिये जालंधर बस स्टैंड पर हम दोस्त जब उसे छोड़ने जा रहे थे तो सब की आँखों में आंसू थे और जब उसे बस में बिठा कर वापिस आये तो उसने मोबएल संदेश से जो उसने अपने साथ बिताये हए पलो को उसने याद करवाया सब दोस्त सारी रात रोने के लिये मजबूर हो गये शायद सबको हसाने वाला जाते समय अपनी यादो से रुला गया उसके जाने के अगले दिन मै कालज भी ना जा पाया सब दोस्त उसे याद कर उसकी बाते ही कर रहे थे और अंदर से सब रो रहे थे की क्यों चला गया शायद उसकी किस्मत में उसकी तर्की वहा लिखी हो शायद !
कालज और युनिवर्सटी की गलती को कोन सजा देगा
हमारा दोस्त हमसे जुड़ा कर दिया . ........मै पूछता हु अब युन्वर्स्टी या कालज को कोन सजा दे जिसने हमारा दोस्त हमसे जुदा किया और उसका एक साल ............सच में वो रजा था सबके दिलो का .......अब हम सभी दोस्त यही दुया करते है वो वहा बढिया नम्बर लेकर पास हो और एक अछा पत्रकार बने .
दिल से हमेशा सब के दिलो में रहेगा अतुल
तेरे दोस्त साहिल , पंकज, गोरी, रजत , भावना, करिश्मा, शिवम् पूजा ,रतिका, सोनिका सन्नी शायद कभी ना तूझे भूल पायंगे .........
Thursday, July 22, 2010
जाऊ या न जाऊ आखिर करू तो क्या करू ???????????????????
जाऊ या न जाऊ आखिर करू तो क्या करू ???????????????????
ख्वाब थे की एक बार डेल्ही जरुर जाना है .वहा का माहोल जानना है .जलानाधर में मुझे elactronic मीडिया में करीब डेड साल हो चूका था . और अब मै डेल्ही की मीडिया को जानना चाहता था और उनके साथ काम करना चाहता था वहा के काम करने के ढंग को जानना चाहता था क्यंकि अगर डेल्ही में बारिश है तो पुरे देश में बारिश है इसलिए तकरीबन ढेड साल से डेल्ही में किसी चेनल में काम या आप इंटर्नशिप कह लो उसके लिए तकरीबन आठ महीने से कोशिश कर रहा था आखिरकार मुझे जी न्यूज़ के ऑफिस से अचानक काल आती है की आपकी जी न्यूज़ में इंटर्नशिप लग गयी है. आपको कल innterview के लिए आना है. अचानक आये काल ने मुझे समझ में नही आ रहा था मै क्या करू और अभी कुछ दिन पहले ही मेरी जिन्दगी की पहली नोकरी लगी थी नवां जमाना समाचारपत्र एक पत्रकार के तोर पर क्राएम बीट में . तो अब मै खुश भी था और उदास भी.... समझ नही आ रहा था जिन्दगी की पहली नोकरी छोडू या नॉएडा जाने का मोका.... जिसे मै पिछले आठ महीने से इन्तजार कर रहा था दोस्तों से पुछा तो सब ने अपनी अपनी राय दी अब आखरी फांसला मुझे ही लेना था. मैंने किसी तरह हिमत जुटा कर एक बार घर फोन कर दिया की मेरे कपड़े पैक कर दीजिये मै कल डेल्ही जा रहा हु. पर अभी पता नही था मुझे मैंने जाना है या नही...... आखिरकार मैंने समाचारपत्र वालो से एक दिन की छुटी मांगी और रात को दस बजे डेल्ही के लिए रवाना हो गया तीन बजे मेरा interview था और मै एक बजे ही पहुंच गये था तो उन्होंने मेरा interview पहले ही ले लिया और यहा मै पास हो गया उन्होंने कहा कल से ही आप आना शुरू कर दो पर अभी मुझे पता नही था की मैंने यह आना है या नही ! अब मै वापिस जालंधर आ रहा था interview में पास होने की जहा ख़ुशी थी तो वही कुछ न समझ पाने के गम भी था सारे रस्ते यही सोच रहा था आखिर क्या मै क्या करू मेरे सामने खाने की दो थाली पड़ी थी और दोनों प्लेट मेरी फेव्र्ट थी पर मुझे एक को छोड़ना है था अगले दिन अपने समाचार पत्र के दफ्तर पहुंचा और मीटिंग में यही सोच रहा था की क्या करु ??? मीटिंग खत्म हुई और सब चले गये पर मै वही बैठा सोच रहा था की क्या करू आखिर कार मैंने हिमत कर अपने बॉस अरुणदीप को फोन किया और उनको सारी बात बता दी मैंने खा आप जो कहेंगे मै वही करूंगा उन्होंने खा शाम को मिलते है और फिर बात करते है शाम तक मै सोच और ख्यालो की दुनिया में ही था शाम को सर मिले और उन्होंने कहा तू जाना चाहता है मैंने कहा जाना तो चाहता हु पर मै यह क्राइम बीट भी करना चाहता हु उन्होंने कहा तू जा मै सम्भाल लूँगा जब तू आयगा तो तेरी क्राइम बात तुझे ही मिलेगी मै उनकी बात सुनके हैरान हो गया और उनकी बात ने मेरा दिल जीत लिया मैंने जी में वह एक महिना इन्टरन की और वापिस आया तो देखा की सच में क्राइम बीत सर ने किसी को नही दी थी और यह फिर से मैंने अपना काम शुरू कर दिया सच में अरुण सर को दिल से सलाम जिन्होंने मुझे समझा और मेरे लिए इतना कुछ किया तभी तो कहता हु मेरे देश में असा भी होता क्यंकि यहा असे भी लोग है जो एक दूजे को समझते है
Wednesday, May 19, 2010
फिल्म बनाना आसान नही मुझे तब पता चला !!!!!!!!!!!!!!!!
कहते है कालज में मस्ती का मजा कुछ और ही होता है और मै तो कालज में मस्ती के लिये ही जाना जाता हु . मै अपने क्लास में कम दूसरी क्लास में रहना ज्यादा पसंद करता हु और कभी ध्यान में नही रखता की मेरे साथ मेरी क्लास के नही मेरे सीनिअर साथ है . तभी तो बिना सोचे समझे उनसे हर बात कह देता हु और शायद यही वजह थी की उस दिन मुझे फिल्म की बारीकिया सीखने के लिये वर्कशॉप में शामिल के लिया गया . आप भी सोच रहे होगे हुआ कोन सी पहेलिया बुझा रहा है है और क्या बात कर रहा है . असल में हुआ यू की पिछले दिनी हमारे कालज में फिल्म बनाने और उनकी छोटी छोटी बाते समझाने के लिये डेल्ही से विशेष तोर पर डिरेक्ट्र ' कुलदीप कुनाल ' को बुलाया गया .अरे भई कुलदीप सर जितने अछे वर्सेटाइल डिरेक्ट्र है उससे भी कही अछे इंसान है उनके साथ पन्द्रह दिन रह कर हमे पता चला की वो कभी भी हार ना मानने वाले इंसान है . कुलदीप सर कई शोर्ट फिल्म बना चुके है और आज उनकी डेल्ही और मुम्बई में उनकी अपनी खुद की पहचान है . इतने बड़े इंसान होने के बावजूद उन्होंने हमे कभी अपनी बड़ी छवि होने का अहसास नही होने दिया .उन्होंने हमारे साथ बिलकुल दोस्तों जेसा रवैया अपनाया .आप भी सोच रहे होंगे की कहा किसकी तारीफे करी जा रहा है ???? और क्यों ?????? तो मै आपको बता ही देता हु की बात क्या है और सच में तारीफ़ के काबिल क्यों है ...................
कुलदीप कुनाल सर दूसरी बार हमने कालज में फिल्म मेकिंग की बारेकिया सिखाने आ रहे थे तो मुझे मेरे दोस्त ने कहा की तू काजर कुनाल सर को ले आ . वो अच् . ऍम वी कालज आये हुए है मै उन्हें लेने चला गया. तब उनसे मेरी मुलाकात दूसरी बार हुयी थी पहली बार भी अछी तरह से नही मिल पाया था .रास्ते में बातचीत शुरू हो गयी मैंने उन्हें बताया की मै जालंधर में किसी चेनल के लिये रिपोर्टिंग करता हु. मै आपसे फिल्म की बारीकिया सीखना चाहता हु पर इस बार लगता नही की मे सीख पाउँगा क्यंकि यह वर्कशॉप सिर्फ मास्टर क्लास के बच्चो के लिये है . उन्होंने कहा की अगर सच में सीखना चाहता है तो आ जाना "मै हु ना " मै हिमत कर अगले दिन वर्कशॉप की क्लास लगाने चला गया तो उझे पहले मेरी मैम ने मना कर दिया उन्होंने कहा की यह सिर्फ मास्टर क्लास के बच्चो के लिये है पर मै फिर भी बेशर्मो की तरह कुनाल सर के पास चला गया और यकीन मानिये उन्होंने भी मुझे निराश नही होने दिया उन्होंने मैम को बोलकर मुझे वर्कशॉप लगाने के लिये रख लिया
अब क्या था मै अपनी क्लास का इकलोता बच्चा था जिससे मै और भी ज्यादा खुश था की मुझे सीखने का काफी मोका मिलेगा .सीनियर के साथ तो मेरी पहले ही खूब बनती थी और उन पर मै अपना पूरा रोब तो पहले से ही डालता था अरे भई डालु भी क्यों ना..................... कालज में सबसे ज्यादा घुला मिला जो इनके साथ था .उन पन्द्रह दिनों में उझे फिल्म की छोटी छोटी बारेकिया सीखने का पता चला . पता लगा की जिस तीन घंटे की फिल्म की कुछ झलकिया देखने के बाद जिसे हम सिरे से नकार देती है .उसमे कितने लोगो की मेहनत लगती है. और केमरा के आगे हीरो हेरोइन जो फिल्म का सारा श्रे ले जाते है उनसे भी कही ज्यादा मेहनत केमरा के पीछे काम करने वालो की होती है ........वो केसे दिन रात एक कर मेहनत करते है और कितनी मुश्किल से फिल्म बनाते है........ चाहे उसमे प्रोडकशन का काम करने की बात हो या प्री प्रोडकशन सभी काम कितने सारे लोग मिलकर बनाते है जिसे हम आसानी से नकार देते है
खैर छोड़िये इन सब बातो को मुझे उन दिनों काफी कुछ सीखने को मिला जिन्हें मै कभी भूल नही सकता वो मेरी जिन्दगी के सबसे अहम दिनों में से एक थे.
Monday, April 26, 2010
आशचर्यजनक ख़ुशी देने वाला रिजल्ट......................
कोलेज मे पहली बार प्री सेमेस्टर परीक्षाओ का रिजल्ट कुछ इस कदर आशचर्यजनक व ख़ुशी देने वाला था की सहपाठियो ,मित्रो और परिवार वालो ने यह बात मान ही ली थी की मे यूनिवर्सिटी टॉप करुँगी | मुझे भी कही ना कही लग रहा था शायद स्कूल की औसत छात्र कुछ खास कर जाये | प्री सेमेस्टर आने पर दिल और दिमाग से पढाई की | दिल मे अपने माता - पिता को ख़ुशी दिलवाने की बात थी तो दिमाग मे अपने मित्रो की उमीदो पर खरे उतरने की | परीक्षाएं भी अच्छी गई सभी प्रशनों के ढंग से उतर दिए , जितना लिख सकती थी उससे कही ज्यादा लिखने की कोशिश की | परीक्षाएं खत्म हुई तब से लेकर परिणाम आने तक सभी के मान में यह बात थी की गौरी ही टोपर आयेगी , हमे तो सोचना भी नहीं चाहिए | इस प्रकार कुछ लोग तो ख़ुशी से यह बात मुझसे कहते पर कुछ ईर्ष्या के मारे वही कहते - कहते चले जाते | ऊपर से तो मेरे दोस्त होने का दिखावा पर अंदर से ईर्ष्या , पर उधर मेरे सर हर ईर्ष्या मे मुझे बचाने मे मेरा साथ देते | हमेशा मुझे समझाते की तुम्हें इन सब बातो पर गौर ना कर आगे बढना है .... टोपर तुम्हे ही आना है | मे भी इस बात पर खुश हो कर सब कुछ भूल जाती | रिजल्ट वाले दिन सर क्लास मे आये और कहने लगे की कल रात मैंने एक सपना देखा जिस मे तुम मेरे पास भागते हुए अपने टॉप आने की खबर सुनाने आती हो | सर की यह बात सुन सारी क्लास मे बठे मेरे सभी दोस्त मेरी तरफ देखने लगे .....कुछ ख़ुशी से तो कुछ दुखी से ....यह सोच कर की सर को रिजल्ट पता चल गया है बस सपने का बहाना बना कर अभी हम सबको बता रहे है | इस सपने ने सभी को एक धोके मे डाल दिया पर मुझे एक अलग ख़ुशी का अनुभव करवाया गया | पर यह ख़ुशी कुछ देर के लिए ही थी | कुछ समय बाद रिजल्ट का पता चला की में यूनिवर्सिटी मे ना तो पहला , दूसरा और ना ही तीसरा स्थान हासिल कर पाई हूँ | मैंने इस रिजल्ट मे यूनिवर्सिटी मे चौथा स्थान हासिल किया था | यह खबर मुझे सुनाने , मेरे दोस्त स्टूडियो मे ख़ुशी से तो जरुर भागते हुए आये लेकिन कहीं ना कहीं वह भी जानते थे की जो चाहा था वो नहीं हो पाया | उस वक्त बाकि सभी मेरे दोस्त , मेरे सिनियर्स मुझे मुबारक बात दे रहे थे ......पर मुझे समझ नहीं आ रहा था की खुश होकर बाकियों की तरह अपनी अधूरी जीत का जशन मनाऊँ जा अपनी आधी हार का गम | पर अपने सर के कहने पर जब मैंने यह खबर अपने पापा को बताई तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा | पापा के बाद मुझमे इतनी हिम्मत नहीं थी की मम्मा को फोन कर यह बता सकूं , पर पापा का फोन रखने के बाद मम्मा का फोन खुद ही आ जाता है और पहली बार मैंने अपनी मम्मा को मेरे लिए ख़ुशी से रोते हुए देखा | उस पल ने मुझे रुलाया जरुर पर मुझे यह एहसास दिलाया की जितना हो सके मुझे अपने मम्मा - पापा को इसी तरह ख़ुशी से अपने लिए बार - बार रोते हए देखना है |
अब दूसरे सेमस्टर कई परीक्षाएं आने वाली है ...प्लीज मेरे लिए भागवान से प्रार्थना करना की मेरे मम्मा -पापा मेरे लिए ख़ुशी से इक बार फिर रो पड़े और मुझे फिर एक नया गिफ्ट मिले |
तभी तो कहता हु की मेरे देश में ऐसा भी होता है ..............
तभी तो कहता हु की मेरे देश में ऐसा भी होता है ..............
लेखक - गौरी दुग्गल
धन्यवाद - पंकज कपाही
धन्यवाद - पंकज कपाही
Thursday, April 22, 2010
जिन्दगी निकल जाती है रूठने मनाने में !
कहते है झगड़ा अक्सर वही होता है jha प्यार होता है और झगड़े से प्यार और भी बड़ता है दोस्तों के साथ छोटी छोटी बातो पर लड़ना और फिर उन्हें मनाना सच में बड़ा मजा आता है और यह दिन ज्यादातर कलज और स्कूल में ही होते है तब पढाई के इलवा कोई और सिरदर्दी नही होती
मै जब दोआबा कालज में पड़ने गया तो मन में मीडिया में आने की कई उमीदे थी तब मेरे कई दोस्त बने शुरूआती दिनों में सबसे पहले मिशा अवतार और जतिन मेरे दोस्त बने इनके साथ सारा दिन खूब गपे मारनी पर आपस में लड़ते रहना कभी बंक मार कर तलं घुमने चले जाना तो कभी खी और गेदी लगाने जाना तब मै पहली बार लडकियों के साथ इतना घुला मिला था इस वजह से मै भावुक होकर लडकियों से जयादा बाते करता और अक्द्र मुझे लडकिय गलत समझ लेती शू में मैंने अपनी क्लास की एक लडकी को बता दिया की मुझे अपन क्लास की ही चे लडकिय पसंद है उपर से मै अपनी क्लास छोड़ कर बड़ी क्लास की लडकियों से ज्यादा बाते करने लगा जिस वजह से मेरी छवि लडकियों में खराब होगयी और मुझे लडकिय प्ले बॉय समझने लगी उपर से मैंने रक नाटक किया जिसमे मुझे श्रभी का पात्र मिला मै इस पात्र में इस तरह से खो गया की मेरे चलने और बोलने का ढंग शराबियो की तरह हो गया उपर से मेरी आँखे श्रभी जेसी लगती थी आवाज तो मासाहल्लाह वेसे ही खूब है तो अब मुझे लडकिय प्ले बॉय के साथ साथ श्रभी भी समझने लगी यह तो भगवान का शुक्र है की तभी मुझे मेरे सबसे प्यारे यार बने जिनके साथ आज हम अपने डिपार्टमेंट में अस असा पी के नाम से जाने जाते है अरे भी वो पुलिस वाले अस अस पी नही बल्कि.......... यानि की साहिल शिवम् और पंकज हम जब भी कालज जाते इकठे जाते सारा दिन इकठे रहते जिससे अक्सर सभी जलते खासकर हमारी क्लास की हूलपरिया यानि लडकिया हम तीनो बिना किसी की प्रवाह किये खूब मस्ती करते अगर किसी बात पर नाराज भी हो जाते तो शाम तक एक दुसरे को फोन कर मना लेते और परीक्षा के दिनों एक दुसरे को बोलते यार कुछ नही आता कसम से कल तो पड़ा ही नही गया और सेल कमीने परीक्षा में खूब लिखते दोनों हस्तल में इकठे रह कर पड़ लेते उपर से परीक्षा के दिन कालज मी आकर किसी को न पड़ने देते क्योंकि वो तो लगातार सब कुछ अची तरह से पड़ कर आयी होते
अब हमारा तीसरा स्मेश्तेरे था और इसमें नई विधार्थी आये थे सभी ने प्लान बनाया ता की जिस तरह से हमारे सीनिर ने हमारी कशा की लडकिया फसाई थी हम भी वेसे ही फसेंगे पर गोर तलब है की तीनो को को९ भी लडकी पसंद ही नही आयी और हमारी उमीदो पर पानी फिर गया इस दोरान हमारे कालज में डेल्ही से आये कुनाल सर ने फिल्मो को बारीकिय समझाने के लिए पन्द्रह दिन की वर्कशाप लगाई जिसमे सिर्फ सदी क्लास ही शामिल हो सकती थी मै ढके से इस सेमीनार में शामिल हो गया और यह मेरे दो बनये दोस्त बने पूजा और करिश्मा to be continued..................... .............
INTERVAL
अपनों की बेरुखी से हारा किसान !
अपनों की बेरुखी से हारा किसान !
मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती यह गाना कई वर्ष पहले बॉलीवुड फिल्म उपकार से लिया गया था जिसे गाया महिंद्रा कपूर और इसके बोल लिखे थे गुलशन बावरा ने ....तब शायद उनको भी उम्मीद नही होगी की यह गाना भारत में कई मील के पथर स्थापित करेगी ...1967 में आया यह यह गाना आज भी हर भारतीय के मुंह से कभी ना कभी गुनगुनाने को मिलता है खास कर पंजाब के किसानो कि तो यह जान बन गया है .पंजाब को कृषि प्रधान राज्य कहा जाता है और देश की पंजाब की फसल पर निर्भर करती है और राज्य के किस्सान भी देशवासियों को निराश नही करते और हर वर्ष अपनी धरती से सोना उगालते है यानि की सुनहरी रंग की फसल गेंहू.........तभी तो किसानो को देश का अन डाटा कहा जाता है इस बार भी सोना पक चुका है और बिकने के लिये तयार है पर मंडियों में इसे सही दाम नही मिल रहे जिस वजह से पिछले कुछ वर्षो की तरह अन दातो को डर सत्य जा रहा है की इस वर्ष भी उनकी पुरे वर्ष की मेहनत वर्षा की बल्ली ना चड जाये क्यूंकि मंडियों में गेंहू पहुंच तो चुकी है पर आदती इसके सही दाम नही दी रहे मंडियों में गेंहू को बचाने की सुक्षित जगह कोई नही है और इन्हें खुले में रखे जाता है अगर बारिश होती है तो उनकी साड़ी मेहनत खराब हो जायगी . सरकार को चाह्हिये की मंडियों में पड़ा गेंहू जल्द से जल्द उठाया जाये और इन्हें सुरक्षित जगह पर रखा जाये तांकी किसानो की मेहनत पर पानी ना फिरे और गेंहू खराब ना हो राज्य आगे ही दुसरे राज्यों से हर मामले में पिछड़ रहा है पर गेंहू की फसल में हर बार सबसे आगे है पर हर वर्ष सरकार की लापरवाही से हजारो टन गेंहू खराब होता है कभी बारिश की सूली चदता है तो कभी आढतियो की जो सही समय पर किसानो को गेंहू के सही दाम नही देते जिससे किसान अपनी फसल बेच नही पाते और करोड़ो का गेंहू खराब हो जाता है और राज्य सरकार हर बार कोई ना कोई बहाना लगा कर केंद्र सरकार से करोड़ो रूपये की उधारी मागती है और कहती है इस बार फसल अछी नही हुए. एक शोध के अनुसार हर वर्ष किसान बढिया फसल ना होने की वजह से नही मरते बल्कि मंडियों में अपनी फसल को बर्बाद होते हुए देख कर मरते है क्यंकि वह अपनी फसल को अपने बचो की तरह मानते है हर वर्ष किसान भूखे मर रहे है हर वर्ष फसल बढिया होने के बावजूद भी उन्हें सही दाम ना मिलने के करन किसानोई की फसल खराब होती है और गरीबी से तंग आकर आत्महत्या करते है जिस वजह से सरकार का गरीबी हटायो का आन्दोलन उल्टा पड़ कर गरीब हटाओ का साबित हो रहा है .आगे ही राज्य में लगातार पानी की कमी आ रही है और जमीनी स्तर पर पानी लगातार निचे जा रहा है किसानो को अपनी फसल बीजते समय काफी पानी चाहिए . एक शोध के अनुसार एक किलो गेंहू की फसल के लिये तीस लिटर पानी की जरूरत पड़ती है जबली हजारो टन फसल या तो गोदामों में सडती है या तो खुले में बारिश की वजह से खराब होती है अगर इस बार भी सरकार ने समय पर फसल ना उठाये तो फसल खराब हो जायगी.अब देखना यह होगा की सरकार फसल मंडियों से कब तक उठाती है या इस फिर फिर खराब होती है और किसान आत्महत्या करते है .हर बार चुनावो के दोरान होता है खिलवाड़ !
हर बार चुनावो के दोरान होता है खिलवाड़ !
पंजाब विधानसभा चुनावो को अभी २ साल बाकी है | विपक्ष में बैठे कांग्रेसियो ने अपने अपने हलके में दुआरा से चुनावी तेयारिया करनी शुरू कर दी है | कांग्रेस के उम्मीदवार जो इन चुनावो में अपनी किस्मत अजमाना चाहते है उन्होंने नुकड़ बैठके करके तथा लोगो के घरो में जाकर सम्बन्ध बनाने शुरू कर दिए है | चाहे पंजाब कांग्रेस त्रिकोनी रूप धारण कर चुकी है | एक और पूर्व मुख्या मंत्री केप्टन अमरिंदर सिंह दुसरे और विपक्ष की नेता राजिंदर कौर भठल तथा तीसरे तरफ पंजाब कांग्रेस के प्रधान महिंदर सिंह के. पी. है | कांग्रेस के जो उम्मीदवार टिकट के चाहवान है वो इन तीन लोगो के सम्पर्क में रहकर टिकट के ऊपर अपनी दावेदारी जता सकते है | आने वाले समय में ही यह पता लग पायेगा की कांग्रेस हाईकमान किसके हाथ में पंजाब की कमान थमाती है | अभी तक तो कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब कांग्रेस प्रधान की जिमेदारी किसी के सिर पर नहीं दी है |इस बार विधानसभा चुनावो में यह बात देखने योग्य होगी की राहुल गाँधी कितनी युवा पीडी को चुनावो में उतारते है | लोकसभा चुनावो में उन्होंने पंजाब में तीन युवाओ को चुनावो की टिकट दी थी | जिनमे से दो सीटो को जीतकर इन यूवाओ ने राहुल गाँधी का हौसला बढाया था | दूसरी तरफ भाजपा और अकाली दल ने भी अपने उमीदवारो को उतारने के लिये विशेष रनरीती बना रहे है तांकी कांग्रस को मात दी जाये . कांग्रेस पार्टी भी इस बार उन गलतियों को सुधराना में लगी है जो गलतियाँ उन्होंने पिछले विधानसभा चुनावो में की थी और उनको हार का मुह देखना पड़ा था | वैसे तो चुनावो को नजदीक देख आते हर एक चुनावी पार्टिया वादे करती रहते है | परन्तु चुनाव ख़तम होते ही अपने हलके में से उम्मीदवार गायब हो जाते है | बड़ी बड़ी रेलियो में चुनावो के दोरान राजनितिक पार्टी के नेता मुफ्त बिजली देने का, किसानो को अधिक सहुलते पर्दान करवाना; शहर की मुश्किलों को पहल के अधार पर देखना जैसे वादे करते है परन्तु चुनाव जीतने के बाद सभी लाल बतियो वाली कारो में आराम से घूमते है और सरकारी कोठियो में जाकर डेरे डाल लेते है | यह सरकारी कोठियो में रहने वाले मंत्री क्या दर्द जाने जो की झुकी झोपडियो में गरीब लोग रहते है जिनसे उन्होंने चुनावो के दोरान झूठे वादे करके वोट लिए और उनको झूठे सपने दिखाए | चुनाव ख़तम होते ही यह मंत्री इन गरीबो का दर्द भूल जाते है | कहा जाता है की गरीब लोगो को वोट पैसे ही लेकर डालनी चाहिए क्यूंकि चुनावो के बाद कोण सा उनकी किसी ने सुननी है और न उनका कोई काम होना है | इसलिए जो पैसे उनको चुनावो के समय मिलते है वही पैसे उनके अपने है | मै मजाक नही कर रहा आपने खुद हर बार देखा होगा की चुनाव के समय यह मंत्री आम जनता को खुश करने के लिये तांकी उनसे वोट हथिया सके उन दोरान करोड़ो रूपये खर्च एसे ही करते है तांकी उनको वोट मिल सके तभी तो चुनावो के समय तो खूब दारू की पेटीया चलती है और खूब नोटों की वर्षा होती है. गरीबो की वोट शरेआम खरीदी जाती है. मै तो यु कहूंगा की कहने को तो भारत एक लोकतंत्र सरकार है पर सब जानते है की देश में कितनी लोक्त्नत्र्ता देखने को मिलती है . आप भी जानते है की लोक सभा या विधानसभा के चुनावो में कितने आम लोग प्रतिनिधि के तोर पर खड़े हो सकते है हर वर्ष परिवारिक गद्दी ही अपने बच्चो को हर पार्टी सौप रही है चाहे उसका कोई कार्यकर्ता पार्टी के लिये कितनी भी सेवा कर ले और चाहे वो उस पद के काबिल हो फिर भी वहा भी भी सियासत ही चलती है | मै आपसे सवाल करता हु सरकार हर वर्ष नरेगा जसी कई स्कीमो पर पैसा खर्च करती है पर कभी किसी गरीब से पुचा गया है की आपको नरेगा या उससे तमाम स्कीमो के बारे में कितनी जानकारी है . ज्यादातर गरीबो को मिड डे या नरेगा के बारे में तो कोई जानकारी भी नही है .तभी तो हर वर्ष इनका यह पैसा सभी मंत्री अपने अपने दर्जे के हिसाब से खाते है .लेखक ध्नयवाद
साहिल गुप्ता पंकज कपाही
Tuesday, April 20, 2010
किस्मत पर टिकी इंसान की ज़िन्दगी !
इंसान की ज़िन्दगी केवल किस्मत पर ही नहीं टिकी है . इंसान चाहे तो कुछ भी कर सकता है समाज मे कई ऐसे लोग है जो किस्मत पर विशवास किये बिना ही मेहनत से जिंदगी को बड़ी ख़ुशी से जी रहे है . समाज मे कई ऐसे लोग है जो मेहनत करके ऊचा मुकाम हासिल कर चुके है . इंसान मेहनत करके अपनी किस्मत को बदल सकता है और जिंदगी को पूरी ख़ुशी से जी सकता है
भारत एक परम्परावादी देश है जहा लोग अक्सर धर्म - कर्म और किस्मत मे विशवास रखते है उनका हर काम किस्मत पर ही छोड़ देता है पर इंसान जिंदगी में जो सोचता है वो कभी होता नहीं है जिससे वह हर समय निराश रहता है
वह सारा समय सोच मे ही निकल देता है की उसकी किस्मत मे अगर कुछ होगा तो मिल जायेगा जिस कारण वह मेहनत करने से पीछे हट जाता है और अपनी ज़िन्दगी से निराश हो कर सोचता रहता है की वह कामजाब क्यों नहीं हो रहा , उसको लगता है उसको सब कुछ अपने आप ही मिल जायेगा
अगर वह काम करता भी है तो तक़दीर उसका साथ छोड़ देती है जिससे इंसान फिर अपनी किस्मत को कोसने लग जाता है की उसकी किस्मत ही खराब है जिस कारण वह कामजाब नहीं हो पा रहा
जिससे इंसान टूट जाता है
लोगो से अक्सर यही बात सुनने को मिलती है की उसका लड़का कामजाब नही हो पाया उसकी किस्मत ही खराब है जो यह कामजाब नहीं हो पा रहा है , उसके लड़के को नोकरी नहीं मिलती ,शादी नहीं हो रही या परिवार मे कोई काम सही नहीं हो रहा है तो इसका दोष सीधा किस्मत को ही दिया जाता है की अगर हमारी किस्मत अच्छी होती तो आज यह दिन देखने को नहीं मिलता
पर यह सब गलत बाते है इंसान की ज़िन्दगी केवल किस्मत पर ही नहीं टिकी है इंसान चाहे तो कुछ भी कर सकता है समाज मे कई ऐसे लोग है जो किस्मत पर विशवास किये बिना ही मेहनत से जिंदगी को बड़ी ख़ुशी से जी रहे है
इंसान ही अपनी किस्मत को खुद बनाता और बिगड़ता है
लेखक धन्यवाद
करिश्मा खोसला पंकज कपाही
इंसान की ज़िन्दगी केवल किस्मत पर ही नहीं टिकी है . इंसान चाहे तो कुछ भी कर सकता है समाज मे कई ऐसे लोग है जो किस्मत पर विशवास किये बिना ही मेहनत से जिंदगी को बड़ी ख़ुशी से जी रहे है . समाज मे कई ऐसे लोग है जो मेहनत करके ऊचा मुकाम हासिल कर चुके है . इंसान मेहनत करके अपनी किस्मत को बदल सकता है और जिंदगी को पूरी ख़ुशी से जी सकता है
भारत एक परम्परावादी देश है जहा लोग अक्सर धर्म - कर्म और किस्मत मे विशवास रखते है उनका हर काम किस्मत पर ही छोड़ देता है पर इंसान जिंदगी में जो सोचता है वो कभी होता नहीं है जिससे वह हर समय निराश रहता है
वह सारा समय सोच मे ही निकल देता है की उसकी किस्मत मे अगर कुछ होगा तो मिल जायेगा जिस कारण वह मेहनत करने से पीछे हट जाता है और अपनी ज़िन्दगी से निराश हो कर सोचता रहता है की वह कामजाब क्यों नहीं हो रहा , उसको लगता है उसको सब कुछ अपने आप ही मिल जायेगा
अगर वह काम करता भी है तो तक़दीर उसका साथ छोड़ देती है जिससे इंसान फिर अपनी किस्मत को कोसने लग जाता है की उसकी किस्मत ही खराब है जिस कारण वह कामजाब नहीं हो पा रहा
जिससे इंसान टूट जाता है
लोगो से अक्सर यही बात सुनने को मिलती है की उसका लड़का कामजाब नही हो पाया उसकी किस्मत ही खराब है जो यह कामजाब नहीं हो पा रहा है , उसके लड़के को नोकरी नहीं मिलती ,शादी नहीं हो रही या परिवार मे कोई काम सही नहीं हो रहा है तो इसका दोष सीधा किस्मत को ही दिया जाता है की अगर हमारी किस्मत अच्छी होती तो आज यह दिन देखने को नहीं मिलता
पर यह सब गलत बाते है इंसान की ज़िन्दगी केवल किस्मत पर ही नहीं टिकी है इंसान चाहे तो कुछ भी कर सकता है समाज मे कई ऐसे लोग है जो किस्मत पर विशवास किये बिना ही मेहनत से जिंदगी को बड़ी ख़ुशी से जी रहे है
इंसान ही अपनी किस्मत को खुद बनाता और बिगड़ता है
लेखक धन्यवाद
करिश्मा खोसला पंकज कपाही
Monday, April 19, 2010
किसी समय में मीडिया को देश का चोथा स्तम्ब कहा जाता था..........
किसी समय में मीडिया को देश का चोथा स्तम्ब कहा जाता था उसकी दिखाई खबर की हकीकत माना जाता था और लोग खबरों पर अम्ल करते थे पर पिछले कुछ समय से न्यूज चेनल चोबीस घंटे होने से मीडिया का स्तर गिरा है. जिससे अब सही समाचार दिखने की बजाय मसला दिखाया है . मै खुद पिछले डेड वर्ष से जालंधर में इलेक्ट्रोनिक मीडिया के साथ जुड़ा हुआ हूँ और महसूस किया है की चार - पांच पत्रकारों के इलावा किसी को स्क्रिप्ट भी नही लिखनी आती | पत्रकार एक दुसरे से स्क्रिप्ट मांग कर अपने चैनेल को भेज देते है | यह तो हाल हुआ पत्रकारों को .इनके इलावा चैनल खबरों को सही दिखने की बजाय मसला लगाते और सनसनी दिखाते नजर आते है अगर कही किसी की हत्या हो जाये तो चेनल खबर मांगने की बजाय उस हत्या की प्रोफिल को त्ब्जो देते है अगर प्रोफिल लो हो तो पत्रकार को खबर करने से मना कर देते है अगर उसी खबर में किसी सेलिब्रटी का नाम आये तो आपको पता ही है ............. तो मीडिया मसालेदार खबरे लगातार दिखता है. इसकी क्या वजह है की आज कहने को तो २४ घंटे न्यूज़ चैनेल है पर इन नेशनल चेनल को देखा जाये तो इसमें कितनी देर सही खबर दिखाई जाती है अगर सुबह से ही बात की जाये तो पहले आधा घंटा क्रिकेट को कार्यक्रम की तरह दिखाया जाता है. बाद में तीन देविया या पंडित लोगो को गुमराह करता है फिर बॉलीवुड मूवी या सीरियल दिखाए जाते है आजकल लाफ्टर चेनल भी दिखाए जाते है उसके बाद लोगो को डराने वाली सनसनी खबरे दिखाई जाती है | सारा दिन बार - बार इन्हें ही रपीट किया जाता है . अगर कोई सेलिब्रटी कुछ बोल दे तो उसको घसीटना शुरू कर द्वेते है बजाय की देश की समस्यों को दिखाया जाये इसके अलावा अगर देश में बजट पास होता है तो उसे दिखाने की बजाय दूसरी मसालेदार खबरों को घसीटना शुरू कर देते है यही हुआ है नक्सलवाद और सानिया मलिक की शादी की खबर पर.मुझे याद है जब रजत भाटिया ने इण्डिया टी वी शुरू किया था तो उन्होंने कहा था मुझे मुंह में माइक ध्क्लेने वाले रिपोर्टे नही चाहिए मुझे सही पत्रकार चाहिए जो ख़बरों की हकीकत को दिखाए | आज आप इंडिया टी वी का हाल देख सकते है चाहे उसकी टी आर पी सबसे आगे है पर लोग उस चेनल को मनोरंजन की तरह देख कर हस्ते है |. आज चाहे मीडिया ने इतनी तरक्की कर ली है पर लगातार इसका स्तर निचे गिरा है और खबर को ब्रेकिंग करने के लिये देश की सुरक्षा पर भी खतरा साबित होता है २६/११/२००८ को मुंबई पर आंतकवाद हमला इसका गवाह है लोगो का लगातार मीडिया पर विश्वास उठता जा रहा है और मीडिया के दुरपयोग होने से लोगो ने मीडिया से डरना शुरू कर दिया है |
Friday, April 16, 2010
रिश्तो की हत्या !
रिश्तो की हत्या !
शहर में बेखोफ लुटेरे !
क्या सानिया- मलिक की शादी के बाद दोनों देशो के रिश्ते सुधर पाएंगे !
- कई विवादों के बाद आखिरकार पाकिस्तानी क्रिकटर शोएब मलिक के साथ भारतीय टेनिस स्टार सानिया मिर्जा शादी के पवित्र रिश्ते में बंध ही गये . सानिया और विवादों का चोली दमन का साथ शुरू से ही रहा है चाहे उनकी मिनी स्कर्ट को लेकर .......मन की उनकी खेल में स्कर्ट छोटी चलती है पर उसे भी चाहिए था की कद से ज्यादा छोटी स्कर्ट ना डाले ................. तो क्या अब इनकी शादी होने से दोनों देशो के बीच तनाव कम हो पायेगा या सानिया की वजह से कोई और नया विवाद देखने को मिलेगा....यह तो आने वाला समय ही बतायेगा अब सवाल यहा है की क्या इनकी शादी होने के साथ दोनों देशो के रिश्तो में सुधार देखने को मिलेगा या फिर दोनों देशो के तनाव के कारण इनका रिश्ता टूट जायगा .क्यूंकि सानिया के खेलने को लेकर दोनों देशो में उलझन बनी हुयी है हालाँकि सानिया ने साफ़ कर दिया की वह भारत की तरफ से खेल्गी या पकिस्तान की तरफ से ......... पकिस्तान की अवाम चाहती है की सानिया पकिस्तान की तरफ से खेले . इसमें पकिस्तान की सियासी पार्टियों ने भी अभी से अपनी रोटिय सेकनी शुरू कर दी है और उनकी भी यही मांग है की वह पकिस्तान की भू है तो अब पकिस्तान की तरफ से खेले . कही इनकी शादी की वजह से दोनों देशो के रिश्ते में कश्मीर के मुदे की तरह ही कोई विवाद ना हो जाये .जिसे कश्मीर की तरह सुलझाया ना जा सके और दोनों देश फिर आपस में लड़ते रहे खैर जो भी हो सानिया मलिक की शादी ने एक बार फिर दोनों देशो के सम्बन्ध में मिठास लेन की कोशिश की है दूसरी तरफ भारत के लाखो युवाओं का दिल तो पहले ही सानिया ने पकिस्तान क्रिकटर के साथ शादी कर तोड़ ही दिया है अब आने वाले में यद देखने लायक होगा की इतनी शादी कितनी देर टिक पाती है और इनकी दोनों देशो के रिश्तो को केसा बनती है पर यह बात तो पका है की सानिया आने वाले दिनों में एक बार फिर से मीडिया की सुर्खिया खूब बटोरेगी और भविष्य में भारत -पाक रिश्ते में अहं भूमिका निभेगी !
कबड्डी के टूर्नामेंट से दुसरे खेलो को भी बढ़ावा मिलेगा !
पंजाब में आई. पी. एल की तर्ज आई. के. अल शुरू किया गया. यानि इंडियन कबड्डी लीग जिसमे पहली बार पंजाब में कबड्डी का विशव टूर्नामेंट करवाया गया. किसी को उम्मीद भी नही थी की क्रिकट को कोई और खेल भारत में इतना पसंद किया जा सकता सकता है. बड़े गर्व की बात है की हमारी माँ खेल कबड्डी को यह मुकाम हासिल हुआ जिसे देखने के लिये हजारो की क्दाद में दर्शक आये और सारे स्टेडियम पुरे बहरे नजर आये और लोगो ने कबड्डी के इस खेल को काफी प्रोत्साहित कर पसंद किया और टी,व् पर भी क्रिकट की टी आर पी से ज्यादा कबड्डी की टी आर पी देखने को मिलेगी इससे दूसरी खेलो और उनके खिलाडियों को भी काफी प्रोत्साहन मिला होगा की अब क्रिकट के इलावा देश में दूसरी खेलो को भी पसंद किया जा सकता है और उनमे रक नई उम्मीद की किरन नजर आये होंगी की अब शायद हमारी खेलो में भी सुधर देखने को मिले इस तरह से सरकार की तरफ से करवाया गये कबड्डी का टूर्नामेंट सरकार की तरफ से सच में बड़े प्रशसनीय उपराला है
Sunday, March 28, 2010
दुनिया को गुमराह करते संत बाबा....................
बचा तेरा भला होगा .........तू भूखे साधू को भोजन करवा ......तेरी आंखे बता रही है की तेरी जिन्दगी में बहुत परेशानिया है ..........तू सचा ओर भला इन्सान है पर फिर भी लोग तूझे बुरा समझते है तूझे पेसो की कमी है आने वाले दिनों में तुम्हे गाड़ी मिलेगी तुने भूखे बाबा को रोटी खिलाई है अक्सर अपने आस पडोस या खुद अपने घरो में संत बाबा आते देखे होंगे जो पहले तो आपको रोटी खिलने की बात करेंगे ओर बाद में धीरे आपको अपनी बातो के जाल में फसा लेंगे खास कर अगर किसी महिला से बात कर रहे होंगे तो बोलेंगे की तेरा घर वाला तूझे पुरे पेसे नही देता तेरा बेटा तेरा कहना नही मानता वह पढाई में कमजोर है बाबा तुझसे कुछ नही मांगेगा सिर्फ तू भूखे बाबा को खाना खिला दे जब एक बार खाना खिलने बेठो तो यह बाबा बहुत जल्द ही घर का माहोल जान कर ठग लेते है ओर खाना खिलने वाला सोचता ही रह जाता है की उनके साथक्या हुआ है ऐसा ही वाक्य देखने को मिला हमारे मोहले की सुनीता के साथ उन्होंने पहले तो भूखे बाबा को खाना खिलाया बाद में संत बाबा जी बोले बेटा तेरे घर में हमेशा क्लेश रहता है तूझे पेसो की कमी है तुने आज संत बाबा को खाना खिलाया है तेरे दुःख जल्द ही कम हो जायेंगे ऐसा कर घर से चावल के दाने लेकर आ भोली - भाली सुनीता अंदर से चावल के दाने लेकर आये तो बाबा ने रुमाल में रख कर फूंक मरी तो चावल के दाने कितने सारे हो गये फिर बाबा बोले यह तेरे गहने पुराने लगते है बाबा के रुमाल में रख नये हो जायेगे ओर परमात्मा तेरी मनोकामना पूरी करेगा सुनीता ने अपने गहने रखे बाबा जी ने रुमाल में रखे फूंक मारी ओर गहने नये होंगे बाबा वहा से चलेंगे बाद में देखा गहने तो बदले गये ओर नकली गहने उनके हाथ में आ गये उसे तो लगा की वह सपना देख रही है ओर सुनीता को बाबा का आशीर्वाद मिला उनके पति सोहन लाल अंकल से और घर में क्लेश बड गया
मजाक हर समय नहीं किया जाता.................
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Tuesday, March 9, 2010
अब दर्शन भी बिकते है
अब दर्शन भी बिकते है
देश में भगवान को हर जगह पूजा जाता है लोगो की भावनाए साथ जुडी होती है और लोग भगवान के दर्शन एक बार किसी एतिहासिक जगह पर ले तो उसे अपना सोभाग्य मानते है वैष्णो देवी, स्वर्ण मन्दिर या सिद्धिविनायक मन्दिर के दर्शनों का सपना लोगो के मन में होता है लोग दूर - दूर से भगवान के दर्शन करने के लिये जाते है तांकी उनकी मनते पूरी हो सके उनकी श्रद्धा दर्शनों के साथ जुडी होती है | पर आजकल धार्मिक स्थलों में काफी भीड़ देखने को मिलती है | लोग अब छुटियो में कही पहाड़ी इलाके में घुमने की बजाये धार्मिक स्थलों में जाना पसंद कर रहे है ताकि वो घूम भी ले और साथ में दर्शन भी हो जाये जिस कारण भीड़ दिन बर दिन बढ रही है | जिस वजह से पहले लोग दर्शनों के लिये लाइने तोड़ कर घुस जाया करते थे | पर आजकल दर्शनों के लिये एक नया रिवाज चला है | अब भगवान के दर्शनों के लिए भी वी आई पी होते है जिसमे आप पेसे देकर दर्शन कर सकते है, आपको लम्बी कतारों में लगने की कोई जरूरत नही है और आप ज्यादा पेसे देकर भगवान की आरती में भी शामिल हो सकते है अब इस युग यानि कलयुग मे भगवान के दर्शन भी बिकने लगे है जो लोग सचे मन से पूरी आस्था के साथ दर्शन करने जाते है उनकी भावनाओ को तो ठोस पहुंचती ही है |
Sunday, March 7, 2010
महीने का 3000 खर्चिये और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के बनिये पत्रकार
महीने का 3000 खर्चिये और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के बनिये पत्रकार
अगर आप शहर में पत्रकार बनना चाहते है तो आपको किसी भी प्रकार की विशेष तोर पर पत्रकारिता की पढाई करने की जरूरत नही है और ना हीं आपको पत्रकारिता की समझ होनी चाहिए | सिर्फ इतना की बस आपकी जेब से हर महीने तीन हजार रुपये ढीले होंगे और आपको सारा काम करने वाले कई लोग मिल जायेंगे जो सारा दिन आपके लिये काम करेंगे और आपको फील्ड में आने की जरूरत भी नही है | आपका चेनेल में नाम भी चलेगा और काम करने की जरूरत भी नही है तो इसलिए शहर में लगी हुई है सेल सेल सेल | आप अपना चेनेलोर आप बनना चाहते है तो भेजिए चेनेल को पेसे और रखिये तीन हजार का केमरामेन और आप लीजिये मजा पत्रकार होने का इसका आपको एक और फायदा होगा आप अपने बाकि के काम भी बड़ी आसानी से कर सकते है और साथ में मोका सेलेब्रटी के साथ फोटो खिचवाने का | एक आसान मोका तो है ना तीन हजार के कई फायदे और साथ में तीन स्कीमे मुफ्त मुफ्त मुफ्त
अगर आप शहर में पत्रकार बनना चाहते है तो आपको किसी भी प्रकार की विशेष तोर पर पत्रकारिता की पढाई करने की जरूरत नही है और ना हीं आपको पत्रकारिता की समझ होनी चाहिए | सिर्फ इतना की बस आपकी जेब से हर महीने तीन हजार रुपये ढीले होंगे और आपको सारा काम करने वाले कई लोग मिल जायेंगे जो सारा दिन आपके लिये काम करेंगे और आपको फील्ड में आने की जरूरत भी नही है | आपका चेनेल में नाम भी चलेगा और काम करने की जरूरत भी नही है तो इसलिए शहर में लगी हुई है सेल सेल सेल | आप अपना चेनेलोर आप बनना चाहते है तो भेजिए चेनेल को पेसे और रखिये तीन हजार का केमरामेन और आप लीजिये मजा पत्रकार होने का इसका आपको एक और फायदा होगा आप अपने बाकि के काम भी बड़ी आसानी से कर सकते है और साथ में मोका सेलेब्रटी के साथ फोटो खिचवाने का | एक आसान मोका तो है ना तीन हजार के कई फायदे और साथ में तीन स्कीमे मुफ्त मुफ्त मुफ्त
Saturday, March 6, 2010
देश में चाहे महंगाई का मुदा हो या देश की सुरक्षा का
देश में चाहे महंगाई का मुदा हो या देश की सुरक्षा का या कोई और मुदा हम हर बार सरकार पर ही आरोप लगाते है और सरकार को कोसते है हर बार कहा जाता है की सरकार का कसूर है मेरे मुताबिक इसमें किसी सरकार का कोई कसूर नही है इसमें कसूर है सिस्टम का जो हमने खुद बनाया है उतने ही कसूरवार हम खुद है जो अपना काम निकलवाने के लिये रिशवत देते है मै पुरे यकीन से बोल सकता हूँ की अगर सरकार में हम में से कोई चुना जाये या हम उसे चुने जिस पर हमे पूरा विश्वास है वो भी आपके वादों पर खरा उतर नही पायेगा क्यंकि वो खुद अकेला नही कुछ कर पायेगा |
पत्रकारिता एक जंग.......
अगर पत्रकारिता की बात करे तो मै यही कहूँगा की पत्रकारिता एक मिशन है जिसमे अपनी पर्सनल जिन्दगी को भूलना पड़ता है एक सही पत्रकार को एक फोजी कहा जाये तो यह कहना गलत नही मानता, क्योंकि वह भी एक फोजी की तरह ही देश की सरहद पर रक्षा करने की तरह ही काम करता है जिसमे वह दिन रात सब कुछ भूल कर समाज को जानकारी देता है उसके लिये उसका परिवार सब कुछ पीछे छुट जाता है| क्योंकि उसे नही पता की कब कहा क्या होगा और उसे कब कही भी उस जगह को न्यूज़ को कवर करने के लिये भागना पड़ेगा जिस कारण अक्सर उसके परिवार वालो के साथ समय बिताने का मोका नही मिलता और कई बार इसी वजह से घर में अनबन होनी शुरू हो जाती है क्योंकि बहुत कम घर वाले ही उसके काम करने के अंदाज को समझ पाते है | और परिवार वालो को लगता है की यह हमे जानबुझकर समय नही दे रहा और अपनी मस्ती में लगा हुआ इस स्थिति में घरवालो को बड़े प्यार से पत्रकार को समझाना पड़ता है कई बार तो एक रिपोर्टे सारा दिन फ्री ही रहेगा और कई बार तो उसे खाना खाने का समय भी नही मिलता | घंटो काम में व्यस्त रहना पड़ता है उसे यह नही पता चलता की कब दिन का उजाला हुआ और कब चाँद ने अपनी दस्तख दी कई बार तो मैंने यह भी देखा है की एक पत्रकार अपने घर में खुद के बनाये कार्यक्रम में शामिल नही हो पता वह अपना या अपने बच्चो के साथ बने प्रोग्रम या जन्मदिन नही मना पता या खाने के टेबल से बिना खाना खाए ही भागना पड़ता है यही जिन्दगी है एक पत्रकार की | जिस मिया जंग से कम नहीं समझता |
एक तरफ आदमी सफलता पाने के लिये पूरी जिन्दगी
एक तरफ आदमी सफलता पाने के लिये पूरी जिन्दगी मेहनत करता मर जाता है फिर भी मीडिया की सुर्खिया में नही आ पता दूसरी तरफ मिक्का राखी सावंत ने मीडिया के सामने का तथा सुर्खिया में आने का नया ढंग बना लिया है | जिससे बहुत कम समय में करियर आसमान की उचाइयो को छुता है और हर समय आपकी पब्लिसिटी के साथ - साथ आपको काम भी मिलता रहता है चाहे आपकी मीडिया में नकारात्मक छवि है | पर बहुत कम समय में अपने करियर को बनाने का नया फंडा यह चाहे थोडा गंदा है पर कहते है," ना गंदा है पर धंधा है"| आप हर मुदे पर वेवजह अपनी राय दुसरो से हट कर दो फिर देखो मीडिया का जादू उनको एक नई खबर मिल जायगी और आपको नया काम |
शहर की सुरक्षा राम भरोसे
शहर की सुरक्षा राम भरोसे
पिछले कुछ समय से शहर में लगातार गुंडागर्दी, छीना - छपटी,और शरेआम किसी का भी खून कर देना आम बात हो गई है जिससे शहर की सुरक्षा पर प्रशन चिन्ह लग गया है | कही भी कोई शहर में घटना होती है तो कुछ ना मिले तो पुलिस के अफसरों के ही तबादले किये जाते है पहले एक फोजी ने दूकानदार की शरेआम हत्या कर उसके बाद अप्रवासियो को पीट दिया | लुट - मार की बाते तो शहर में आम हो गई है | महीने में हत्या की कई खबरे सुनने को मिलती है पुलिस कितनी भी कोशिशे कर ले पर हर बार नाकामयाब ही साबित नजर आती है इसलिए यह कहना गलत नही होगा की शहर की सुरक्षा राम भरोसे है अभी कल ही भाजपा नेता की अनजान लोगो ने हत्या कर दी जिससे साबित होता है की अगर पुलिस अपने लीडरो की सुरक्षा नही कर सकती तो आम आदमी की सुरक्षा का तो सवाल ही पैदा नही होता |
पिछले कुछ समय से शहर में लगातार गुंडागर्दी, छीना - छपटी,और शरेआम किसी का भी खून कर देना आम बात हो गई है जिससे शहर की सुरक्षा पर प्रशन चिन्ह लग गया है | कही भी कोई शहर में घटना होती है तो कुछ ना मिले तो पुलिस के अफसरों के ही तबादले किये जाते है पहले एक फोजी ने दूकानदार की शरेआम हत्या कर उसके बाद अप्रवासियो को पीट दिया | लुट - मार की बाते तो शहर में आम हो गई है | महीने में हत्या की कई खबरे सुनने को मिलती है पुलिस कितनी भी कोशिशे कर ले पर हर बार नाकामयाब ही साबित नजर आती है इसलिए यह कहना गलत नही होगा की शहर की सुरक्षा राम भरोसे है अभी कल ही भाजपा नेता की अनजान लोगो ने हत्या कर दी जिससे साबित होता है की अगर पुलिस अपने लीडरो की सुरक्षा नही कर सकती तो आम आदमी की सुरक्षा का तो सवाल ही पैदा नही होता |
विदेशो में नही घट रहे नस्लवादी हमले
विदेशो में नही घट रहे नस्लवादी हमले
क्या विदेशो में जाने वाले भारतीयों पर हमला होना कभी बंद नही होगा अब उस मासूम गुरशरन का क्या कसूर था वो तो अपने बाप को मिलने तथा छुटिया बिताने के लिये आस्ट्रेलिया के मेलबोर्न में गई थी उस मासूम को तो नस्लवाद के बारे में भी कुछ पता भी नही था कभी पंजाब के बूढ़े माँ - बाप के आँखों के तारो को मार दिया जाता है जिनका सपना होता है की यह उनके लिये कमाने गये है ताकि घर का गुजरा हो सके और कर्जे को उतरा जा सके काम - काज की तलाश में पंजाब से गये इन नवयुवको को यह नही पता होता की वहा जाकर नस्लवाद के शिकार होंगे | आस्ट्रेलिया सरकार भी सेवा सुरक्षा के अस्वाशन दे रही है कार्यवाही कोई नही की जा रही , ताकि भारतीय लोग सुरक्षित हो सके मै तो यही कहूँगा की एक बार सभी भारतीय अपना काम छोड़ वापिस स्वदेश आ जाये तांकी इनका काम रुक जाये और इन्हें पता चले की भारतियो के बिना इनका गुजरा नही चल सकता |
क्या विदेशो में जाने वाले भारतीयों पर हमला होना कभी बंद नही होगा अब उस मासूम गुरशरन का क्या कसूर था वो तो अपने बाप को मिलने तथा छुटिया बिताने के लिये आस्ट्रेलिया के मेलबोर्न में गई थी उस मासूम को तो नस्लवाद के बारे में भी कुछ पता भी नही था कभी पंजाब के बूढ़े माँ - बाप के आँखों के तारो को मार दिया जाता है जिनका सपना होता है की यह उनके लिये कमाने गये है ताकि घर का गुजरा हो सके और कर्जे को उतरा जा सके काम - काज की तलाश में पंजाब से गये इन नवयुवको को यह नही पता होता की वहा जाकर नस्लवाद के शिकार होंगे | आस्ट्रेलिया सरकार भी सेवा सुरक्षा के अस्वाशन दे रही है कार्यवाही कोई नही की जा रही , ताकि भारतीय लोग सुरक्षित हो सके मै तो यही कहूँगा की एक बार सभी भारतीय अपना काम छोड़ वापिस स्वदेश आ जाये तांकी इनका काम रुक जाये और इन्हें पता चले की भारतियो के बिना इनका गुजरा नही चल सकता |
फिल्म देख कर बचे कर रहे अपनी जिन्दगी बर्बाद
आज के समय में हर नवयुवक फिल्म देख कर उनकी बनावटी जिन्दगी की तरफ आकर्षित हो रहा है और उसी तरह की जिन्दगी बिताना चाहता है और खुद को बर्बाद कर बैठते है | वजह यही है की ज्यादातर सभी लोग फिल्मो को देख कर खो जाते है और रियल लाइफ को छोड़ कर फ़िल्मी लाइफ जेसा ही अपना जीवन बनाना चाहते है | पर भूल जाते है की यह सिर्फ फ़िल्मी दुनिया है और इसमें सभी पात्र कुछ समय के लिये इसमें इस किरदार में आते है और उसके बाद अगली फिल्म के लिये कुछ अलग करते है पर आज के युवा उनके पात्र से प्रभावित होकर अपनी जिन्दगी को उस तरह से बनने की कोशिश में लग जाते है जिस कारण अक्सर देखा गया है की अपनी जिन्दगी खराब कर बैठते है या फिर उस स्टाइल को अपना कर जोकर की तरह दिखना शुरू कर देते है और लोग उनको हवा में लाकर उनकी खिलिया उड़ाना शुरू कर देते है पर वो समझते ही की लोग उनकी तारीफ के फुल बांध रहे है कई बार देखा गया है की फ़िल्मी पात्रो से प्रभवित होकर लोग अपनी जिन्दगी में अक्सर उसी प्रकार के डायलोग मारना शुरू कर देते है | कई बार उस पात्र को अपना कर समझते है की हमे भी फिल्मो की तरह आखिर में प्यार मिल ही जायेगा | इसी वजह से अक्सर उन्हें अपनी जिन्दगी खराब करने की कई घटनाये देखी है अभी पिछले दिन ही फेरोजपुर के एक आशिक ने इसी वजह से अपनी जान गवा दी थी और पीछे छोड़ गया अपने बूढ़े माँ बाप को सारी उम्र रोने के लिये इसी वजह से मै कहूँगा की फिल्मे जरुर देखो पर उसको अपनी जिन्दगी पर हावी ना होने दो और हमेशा यही सोचो की फिल्मे सिर्फ हमारे मनोरंजन के लिये है |
पत्रकारिता पर उठता विशवास................
पत्रकारिता पर उठता विशवास................
पुराने समय में पत्रकार बनने के लिये हर प्रकार की जानकारी का होना अवश्य था पत्रकार अपनी कलम को ही अपनी तलवार समझता था वह हर विषय को जानने के लिए उत्सुक रहता था और लिखते समय यह ख्याल रखता था की वह जिस भी विषय के बारे में लिख रहा है उसके बारे में पहले उसे पूरी जानकारी हो | पर आज समय की यह मांग ने सब कुछ बदल दिया है इलेक्ट्रोनिक मीडिया के आने से पत्रकारिता का स्तर निचे गिरा है और मैंने देखा है की शहर में ७० प्रतिशत लोग इलेक्ट्रोनिक मीडिया के पत्रकार बने हुए है जिन्हें पत्रकारिता का बारे में कुछ ज्ञान भी नही है उन्हें सिर्फ थोडा बहुत कैमरा चलाना आता हो और अपने दोस्तों से स्क्रिप्ट लिखवा कर अपना और अपने चैनल का गुजरा कर रहे है क्योकि उन दूर बेठे चेनल वालो को भी पूरी सुचना से कोई मतलब नही है उन्हें सिर्फ समाचार ही चाहिए | समाचार को तो वो सिर्फ मसाला लगा कर लोगो के सामने परोस देते है तथा अपने ही ढंग से उस खबर को मोड़ देते है उन्हें सच से कोई मतलब तो है ही नही जिससे पत्रकारिता पर लोगो का विशवास उठता दिखाई दे रहा है |
पुराने समय में पत्रकार बनने के लिये हर प्रकार की जानकारी का होना अवश्य था पत्रकार अपनी कलम को ही अपनी तलवार समझता था वह हर विषय को जानने के लिए उत्सुक रहता था और लिखते समय यह ख्याल रखता था की वह जिस भी विषय के बारे में लिख रहा है उसके बारे में पहले उसे पूरी जानकारी हो | पर आज समय की यह मांग ने सब कुछ बदल दिया है इलेक्ट्रोनिक मीडिया के आने से पत्रकारिता का स्तर निचे गिरा है और मैंने देखा है की शहर में ७० प्रतिशत लोग इलेक्ट्रोनिक मीडिया के पत्रकार बने हुए है जिन्हें पत्रकारिता का बारे में कुछ ज्ञान भी नही है उन्हें सिर्फ थोडा बहुत कैमरा चलाना आता हो और अपने दोस्तों से स्क्रिप्ट लिखवा कर अपना और अपने चैनल का गुजरा कर रहे है क्योकि उन दूर बेठे चेनल वालो को भी पूरी सुचना से कोई मतलब नही है उन्हें सिर्फ समाचार ही चाहिए | समाचार को तो वो सिर्फ मसाला लगा कर लोगो के सामने परोस देते है तथा अपने ही ढंग से उस खबर को मोड़ देते है उन्हें सच से कोई मतलब तो है ही नही जिससे पत्रकारिता पर लोगो का विशवास उठता दिखाई दे रहा है |
क्यों गिरा भारतीय हाकी टीम का प्रदर्शन..........
क्यों गिरा भारतीय हाकी टीम का प्रदर्शन..........
भारतीय हाकी टीम ने विशव कप के पहले ही मैच में अपनी पड़ोसी देश पाकिस्तान को मात दी तो हर तरफ भारतीय टीम की वाह - वाही होनी शुरू हो गयी और हर तरफ चक दे इंडिया के नारे लगने शुरू हो गये लोगो के मन में विशवास पैदा हुआ की इस बार भारत में हो रहा विशव कप भारत की झोली में ही आयेगा पर उसके तुरंत बाद भारतीय होकी ने एक बार फिर अपने प्रदर्शन से निराश किया पहले ऑस्ट्रेलिया से हारा तो कल स्पेन से बुरी तरह से पिटा | तो किसी ने हार का जिमेदार रेफरी को बताया जिसने भारतीय टीम के स्ट्राइकर शिवेंद्र सिंह को गलत ढंग से दो मैचो के प्रतिबंद लगाने की वजह से कही तो किसी ने संदीप सिंह को पेनाल्टी कोर्नर के दुबारा मिले मोको को गवाने की वजह से हार का कारण बताया | पर भारतीय हाकी टीम के बुरे प्रदर्शन की वजह यह नही है दरसल भारतीय हाकी टीम की यह दुर्दशा का कारण खुद भारतीय हाकी संघ है जिसने विशव कप से कुछ दिन पहले ही अपनी टीम के साथ मतभेद की सुर्खियो में थी | हाकी संघ ने भारतीय हाकी टीम के खिलाडियों को पुरे पैसे नही दिए थे जिस कारण कुछ दिन पहले भारतीय हाकी टीम अपने अभ्यास या प्रदर्शन की वजह से सुर्खियो में नही आई बल्कि भारतीय हाकी संघ के साथ मतभेद की वजह से ही सुर्खियो में रही जिस कारण खिलाडी अपना पूरा ध्यान खेल की रणनीति में ना बना सके और आज अपने देश में हो रहे विशव कप के शुरुआती चरण में ही बाहर हो चुके है |
भारतीय हाकी टीम ने विशव कप के पहले ही मैच में अपनी पड़ोसी देश पाकिस्तान को मात दी तो हर तरफ भारतीय टीम की वाह - वाही होनी शुरू हो गयी और हर तरफ चक दे इंडिया के नारे लगने शुरू हो गये लोगो के मन में विशवास पैदा हुआ की इस बार भारत में हो रहा विशव कप भारत की झोली में ही आयेगा पर उसके तुरंत बाद भारतीय होकी ने एक बार फिर अपने प्रदर्शन से निराश किया पहले ऑस्ट्रेलिया से हारा तो कल स्पेन से बुरी तरह से पिटा | तो किसी ने हार का जिमेदार रेफरी को बताया जिसने भारतीय टीम के स्ट्राइकर शिवेंद्र सिंह को गलत ढंग से दो मैचो के प्रतिबंद लगाने की वजह से कही तो किसी ने संदीप सिंह को पेनाल्टी कोर्नर के दुबारा मिले मोको को गवाने की वजह से हार का कारण बताया | पर भारतीय हाकी टीम के बुरे प्रदर्शन की वजह यह नही है दरसल भारतीय हाकी टीम की यह दुर्दशा का कारण खुद भारतीय हाकी संघ है जिसने विशव कप से कुछ दिन पहले ही अपनी टीम के साथ मतभेद की सुर्खियो में थी | हाकी संघ ने भारतीय हाकी टीम के खिलाडियों को पुरे पैसे नही दिए थे जिस कारण कुछ दिन पहले भारतीय हाकी टीम अपने अभ्यास या प्रदर्शन की वजह से सुर्खियो में नही आई बल्कि भारतीय हाकी संघ के साथ मतभेद की वजह से ही सुर्खियो में रही जिस कारण खिलाडी अपना पूरा ध्यान खेल की रणनीति में ना बना सके और आज अपने देश में हो रहे विशव कप के शुरुआती चरण में ही बाहर हो चुके है |
देश के राष्ट्रिय खेल का बुरा हाल होने कि वजह में कही न कही क्रिकेट जिमेदार....................
आज देश के हर बच्चे के मन में क्रिकेट खेलने कि ललक होती है वह कही भी कोई भी जगह बनाकर क्रिकट खेलना शुरू कर देते है जिस किसी से भी पूछो आप क्या बनना चाहते है तो वो कहता है कि मै सचिन बनना चाहता हूँ मै महिंदर सिंह धोनी जेसा बनना चाहता हूँ पर किसी के मन में यह नही होता कि मै धनराज पिल्लै कि तरह बनू या शिवेंद्र सिंह कि तरह कोई नही कहता कि मै हाकी खेलना चाहता हूँ उन्हें उस प्रकार का माहोल नही मिलता कि उनके मन में हाकी खेलने कि ललक पैदा हो उन्हें हाकी खेलने के लिए गुण नही मिल पाते जबकि हर कोई अपने गली मोहले में या घर में बैठ कर ही क्रिकट खेलना शुरू कर देता है शुरू से ही उनके मन में ही क्रिकेट खेलने का जनून पैदा होता है उपर से हमारी मीडिया क्रिकेट को इतना दिखाती है की हर कोई क्रिकट देखने में मुशकल हो जाता है क्योंकि मीडिया जो दिखाती है की उसे ही भारत के लोग मानते है उपर से हर विज्ञापन पर क्रिकटर छाए हुए है और साथ में बॉलीवुड के स्टार के साथ उनका तड़का देखने को मिलता है जिस वजह से हाकी टीम के सदस्यों का मनोबल निचे गिरता है और वह अपना प्रदर्शन खराब कर बैठते है जिस वजह से देश का राष्ट्रिय खेल होने के वावजूद हाकी का भविष्य खतरे में जाता दिखाई दे रहा है |
Thursday, March 4, 2010
कल करे सो आज कर आज करे सो अब
कई बार हम सोचते रहते है कि हम ये काम कर ले पर हम वो काम नही करते ........सिर्फ हवाई महल ही बनाते रहते है और वक़्त हाथ से निकल जाता है और हम सिर्फ सोचते रह जाते है इसलिए जो मन में आये वो कर लेना चाहिए हमे सिर्फ सोचना ही नही चाहिए वो कहते है न...... कल करे सो आज कर आज करे सो अब ..........बस इसलिए कहते है कि जो सोचा है उसे एक बार कर दो पता नही ये समय फिर आये या ना आये और हम सिर्फ हाथ मलते ही रह जाये क्योकि ये बिता गया समय फिर वापिस नही आता...........
लेखक धन्यवाद
पूजा अरोड़ा पंकज कपाही
Friday, February 19, 2010
मीडिया में कन्फ्यूजन..........
जब मीडिया के किसी भी कोर्स में जब कोई जाता है तो उसे अक्सर पहले तो पता ही नही होता की इसमें कितनी - कितनी लाइने है और कौन सी चुनी जाये | मन में आता है की यह भी कर ले वो भी कर ले ना जाने कितने लोगो से सलाह मशवरा करते है | हर किसी बड़े से बार- बार पूछते है की क्या करे अपनी शुरुआत कहाँ से करे | पत्रकारिता की लाइन चुनी है तो हर किसी को यही कहा जाता है की अपनी शुरुआत प्रिंट मीडिया या इलेक्ट्रोनिक मीडिया से करे | हर किसी की अपनी - अपनी सलाह होती है और दिमाग में उतनी ही कन्फ्यूजन ज्यादा बढ जाती है | जब मीडिया की लाइन में हम कदम रखते है तो 10 प्रतिशत लोगो को इतना भी नही पता होता की इसमें होता क्या है | वो तो बस दुनिया में अपना नाम बनाने के लिए और टेलीविजन में आने के लिए इस लाइन को चुनता है और यह आने पर उसे कुछ और ही पता चलता है वो अपना कोर्स तो खत्म कर लेता है पर अभी -भी कुछ लोगो को यह पता नही होता की आगे क्या करना है |
दोस्तों में ख्याल रखे समय का
हम लोग देखते है की जब हम अपने दोस्तों में बैठते है तो सब कुछ भूल कर सिर्फ अपनी मस्ती में होते है और दिल की सभी बाते एक दुसरे से बांटते है मैंने अक्सर महसूस किया है की ज्यादतर खुद मै भी जब दोस्तों में बेठता हूँ तो सिर्फ और सिर्फ हंसी मजाक ही करता हूँ भूल जाता हूँ की कोई और काम भी करना है और फालतू की बाते करता रहता हूँ| पर ऐसा नही होना चाहिए | दोस्ती में हमेशा एक बात का ख्याल रखना चाहिए की कही हम दोस्तों में बात कर अपना समय तो बर्बाद नही कर रहे तांकी कल को कही हमे पछताना ना पड़े और खुद को बाद में कोसते हुए यह ना कहे की अगर वो 2 साल या वो समय बर्बाद ना किया होता और उन दिन थोड़ी मेहनत की होती तो मै आज कही और होता क्यूंकि किस्मत बार - बार मोके नही देती ...........
कैसे साबित करूँ की मै सही हूँ ............
मैंने जिन्दगी में महसूस किया है की जिन्दगी में कभी कभार खुद को साबित करने के लिया एडी - चोटी का जोर लगाना पड़ जाता है और दोस्तों में ही खुद को सही साबित करने के समय उस पर क्या बीतती होगी की मै अपने दोस्तों को केसे विशवास दिलाऊ की वो जो मुझे गलत समझ कर जो इल्जाम लगा रहे है वो तो मैंने किया ही नही उस स्थिति में वो जाये तो किसके पास......... क्यूंकि उनके अपने ही उन पर विशवास नही कर रहे है | उसकी यह स्थिति उस के इलावा कोई नही जान सकता चाहे वह अपनों की कसम खाए पर उसके बाद भी दोस्तों से यही सुनने को मिलता है की तुम पर विशवास नही है मै आपसे पूछता हु की वो अब क्या करे ?????????? अगर तो वह निर्दोष पाया जाता है तो जो संतुष्टि उसको मिलती है....पर इसके बाद दोस्तों का क्या किया जाये जो उसे आज तक पहचान नही पाए जिनके साथ वह दिल की हर बात करता है |
Thursday, February 18, 2010
इंसान दो तरह के होते है...........
मैंने अभी तक अपनी जिन्दगी में देखा है की इंसान दो तरह के होते है एक वो जो बिना कोई काम किये अपना समय नष्ट करते है एक वो जो बिना समय गवाए अपना काम करते है कुछ लोग होते है जो करना सब कुछ चाहते है पर कभी भी कुछ कर नही पाते क्यंकि वह काम चुप - चाप करने की बजाये लोगो की बातो पर ध्यान देते है की अगर कुछ गलत किया तो लोग क्या कहेंगे और दुसरो की आलोचना करते रहते है की उसने ऐसे किया और उसने ऐसे किया खुद कोई काम नही करते जिस कारण वह जिन्दगी में कभी कामयाब नही हो पाते वह लोग काम करने के लिए समय तो पूरा निकालते है पर बिना काम किये दुसरे के कामो की आलोचना करते रहते है और उनके मन में यही होता है की उन्हें सब कुछ आता है पर कभी भी वह खुद काम करने की कोशिश करते है तो कर नही पाते क्यंकि वह सारी जिन्दगी खुद को ही धोका देते आये है और दूसरी तरफ दुसरे लोग हर किसी की आलोचना का शिकार होकर छोटी जगह से शुरुआत कर अपना एक अलग ही मुकाम बना लेते है
जिन्दगी जीने के दो ही तरीके है .....................
अगर जिन्दगी जिनी है तो ............मै तो यही कहूँगा की इसे दो ही ढंग से जियो जैसे की( "3 idiots) फिल्म में भी दिखाया गया है की या तो भेद चाल चलो जो की सभी लोग चलते है ,दुसरो के बनाये हुए रास्ते में चलो और भीड़ में ही गुम हो जयो या फिर अपना अलग रास्ता बनाओ | मै कोई फ़िल्मी डालोग नही मार रहा बस इतना कहने की कोशिश कर रहा हूँ की अपने मन की सुन कर सिर्फ वही करो जो दिल कह रहा है क्यंकि जब भी आप अपनी अलग पहचान बनाना चाहोगे तो अक्सर होता यही है की जब आप लकीर से हट कर काम करते हो तो हर कोई आप पर हसता है और सभी के सामने आपका मजाक बनता है पर एक बार आप इन चुनोतियों को पार कर गए तो यही लोग आपको सलाम करेंगे और हर किसी को कहेंगे की कभी यह हमारे साथ होता था और दूसरी तरफ अगर आपने लोगो की बातो की प्रवाह कर अपना लक्ष्य छोड़ दिया तो फिर आप कभी भी अपनी मंजिल तक नही पहुंच पाओगे और एक भीड़ में किसी आम इंसान की तरह बन कर रह जाओगे आपने अक्सर देखा होगा की जब नया आदमी कुछ काम करने की कोशिश करता है तो वह गलत ही करता है जिसे देख सभी कई बार हस्ते भी है अगर वो लोगो के डर से काम छोड़ दे तो वह उस काम को कभी कर नही पायेगा एक बार वह उस काम को सीख गया तो वही हसने वाले लोग ही उसे सीखाने को बोलेंगे |
खुद को पहचानो,,,,,,मै कौन हूँ
ज्यादातर लोग अपने आप को पहचान ही नही पाते की वो खुद है क्या जिस कारण वह हमेशा सोचते ही रहते है और उन्हें पता नही चल पता की उनकी जिन्दगी का मकसद क्या है? और उन्होंने आगे करना क्या है जिस कारण वह कभी तरक्की नही कर पाते और हमेशा इल्जाम अपनी किस्मत पर थोपते रहते है दुनिया में कोई भी इन्सान उन्हें आसानी से बहका सकता और वो हमेशा भूले भटकी गलियों में घूमते रहते है | मेरे कहने का अर्थ है की वो जो करना चाहते है वह कर नही पाते और दुसरो के कहने पर चलते है अगर कोई दूसरा इंसान बढ़िया कर रहा है तो वह अपना काम छोड़ कर उसकी तरह बनने की कोशिश करते है और वह कम उम्र में ही बड़े - बड़े सपने देख कर अक्सर जिन्दगी में मार खाते है और ज्यादातर नाकामयाब होकर खुद को हताश कर बैठते है क्यंकि वह इस सच्चाई से अंजान है की वह जिन - जिन लोगो की नकल करना चाहते है वो लोगो की जिन्दगी इन कामो में निकल चुकी है और उन लोगो को यह काम करने में आनन्द आता है
Monday, February 15, 2010
नवयुवक खुद को पहचाने मे असमर्थ ................
आज की संघर्ष भरी जिन्दगी में हर किसी के मन में यही होता है की वह अपनी एक अलग पहचान बना सके |. बचपन से ही अपने माँ बाप की सुनाता है की तुमने बड़े होकर एक कामयाब इन्सान बनाना है | जिसके लिए वह कई बार मेहनत तो पूरी करता है पर कामयाब नही होता | कई बार हालत साथ नही देते उसकी मजबुरिया सामने आ जाती है तो कई बार लोगो की खिली के डर से पीछे हट जाता है | तो कई बार कामयाब होने से पहले ही अपने आप को बहुत बड़ा समझ कर लोगो के सामने बड़ी - बड़ी डींगे मारना शुरू कर देता है | और कुछ बनने से पहले ही अत्याधिक आतम विशवास की वजह से ही अपना काम खराब कर लेता है . और जिन्दगी में नाकामयाब साबित होता है यही है जिन्दगी की सचाई जो कोई नही समझ पाया | मै तो बड़ा होकर सचिन तेंदुलकर बनूंगा , मै शाहरुख खान बनूँगा , मै माइकल जेक्सन की तरह डांस करूंगा | हर किसी के मन में आजकल यही होता है की मै किसी ना किसी सितारे की तरह बनने | पर वह अपने अंदर की प्रतिभा को भूल कर आसमान को छूने के लिए बनावटी रुख अपनाता है जिसमे वह लाख कोशिशो के बाद भी कामयाब नही हो पता और कई बार जिन्दगी की भीड़ में गुमनाम सा हो जाता है | यकीन नहीं तो आपने अपने आसपास ऐसे कई लोग देखेगे होंगे जिनके अंदर प्रतिभा काफी छुपी होती है पर उसे पहचान नही पाते और उसका कोई भाई बंदु किसी और लाइन में बढिया है तो खुद को भूल कर उसकी तरह बनने की सोचते है याद कीजिये अपने किसी नजदीकी इंसान को सोचिये...............कुछ याद आया ???? जी बिलकुल मै बात कर रहा हु रोहित की,सोरब की , रुपाली की या रेशमा की जी अब आपको याद तो आ गया हो गया की जिसको आप जानते है उसके अंदर एक्टिंग की ,स्पोर्ट्स की या किसी और काम करने का हुनर होता है जब भी वह काम करता है तो मन लगाकर एकदम बढिया करता है और बहुत जल्द सीख कर उसमे निपुण हो जाता है पर बहुत कम लोग अपने अंदर की इस निपुणता को जान पाते है एक शोध के अनुसार दस में से चार लोग ही इसे पहचान पाते है |
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