Friday, February 19, 2010

मीडिया में कन्फ्यूजन..........


जब मीडिया के किसी भी कोर्स में जब कोई जाता है तो उसे अक्सर पहले तो पता ही नही होता की इसमें कितनी - कितनी लाइने है और कौन सी चुनी जाये | मन में आता है की यह भी कर ले वो भी कर ले ना जाने कितने लोगो से सलाह मशवरा करते है | हर किसी बड़े से बार- बार पूछते है की क्या करे अपनी शुरुआत कहाँ से करे | पत्रकारिता की लाइन चुनी है तो हर किसी को यही कहा जाता है की अपनी शुरुआत प्रिंट मीडिया या इलेक्ट्रोनिक मीडिया से करे | हर किसी की अपनी - अपनी सलाह होती है और दिमाग में उतनी ही कन्फ्यूजन ज्यादा बढ जाती है | जब मीडिया की लाइन में हम कदम रखते है तो 10 प्रतिशत लोगो को इतना भी नही पता होता की इसमें होता क्या है | वो तो बस दुनिया में अपना नाम बनाने के लिए और टेलीविजन में आने के लिए इस लाइन को चुनता है और यह आने पर उसे कुछ और ही पता चलता है वो अपना कोर्स तो खत्म कर लेता है पर अभी -भी कुछ लोगो को यह पता नही होता की आगे क्या करना है |

दोस्तों में ख्याल रखे समय का

हम लोग देखते है की जब हम अपने दोस्तों में बैठते है तो सब कुछ भूल कर सिर्फ अपनी मस्ती में होते है और दिल की सभी बाते एक दुसरे से बांटते है मैंने अक्सर महसूस किया है की ज्यादतर खुद मै भी जब दोस्तों में बेठता हूँ तो सिर्फ और सिर्फ हंसी मजाक ही करता हूँ भूल जाता हूँ की कोई और काम भी करना है और फालतू की बाते करता रहता हूँ| पर ऐसा नही होना चाहिए | दोस्ती में हमेशा एक बात का ख्याल रखना चाहिए की कही हम दोस्तों में बात कर अपना समय तो बर्बाद नही कर रहे तांकी कल को कही हमे पछताना ना पड़े और खुद को बाद में कोसते हुए यह ना कहे की अगर वो 2 साल या वो समय बर्बाद ना किया होता और उन दिन थोड़ी मेहनत की होती तो मै आज कही और होता क्यूंकि किस्मत बार - बार मोके नही देती ...........

कैसे साबित करूँ की मै सही हूँ ............

मैंने जिन्दगी में महसूस किया है की जिन्दगी में कभी कभार खुद को साबित करने के लिया एडी - चोटी का जोर लगाना पड़ जाता है और दोस्तों में ही खुद को सही साबित करने के समय उस पर क्या बीतती होगी की मै अपने दोस्तों को केसे विशवास दिलाऊ की वो जो मुझे गलत समझ कर जो इल्जाम लगा रहे है वो तो मैंने किया ही नही उस स्थिति में वो जाये तो किसके पास......... क्यूंकि उनके अपने ही उन पर विशवास नही कर रहे है | उसकी यह स्थिति उस के इलावा कोई नही जान सकता चाहे वह अपनों की कसम खाए पर उसके बाद भी दोस्तों से यही सुनने को मिलता है की तुम पर विशवास नही है मै आपसे पूछता हु की वो अब क्या करे ?????????? अगर तो वह निर्दोष पाया जाता है तो जो संतुष्टि उसको मिलती है....पर इसके बाद दोस्तों का क्या किया जाये जो उसे आज तक पहचान नही पाए जिनके साथ वह दिल की हर बात करता है |

Thursday, February 18, 2010

इंसान दो तरह के होते है...........

मैंने अभी तक अपनी जिन्दगी में देखा है की इंसान दो तरह के होते है एक वो जो बिना कोई काम किये अपना समय नष्ट करते है एक वो जो बिना समय गवाए अपना काम करते है कुछ लोग होते है जो करना सब कुछ चाहते है पर कभी भी कुछ कर नही पाते क्यंकि वह काम चुप - चाप करने की बजाये लोगो की बातो पर ध्यान देते है की अगर कुछ गलत किया तो लोग क्या कहेंगे और दुसरो की आलोचना करते रहते है की उसने ऐसे किया और उसने ऐसे किया खुद कोई काम नही करते जिस कारण वह जिन्दगी में कभी कामयाब नही हो पाते वह लोग काम करने के लिए समय तो पूरा निकालते है पर बिना काम किये दुसरे के कामो की आलोचना करते रहते है और उनके मन में यही होता है की उन्हें सब कुछ आता है पर कभी भी वह खुद काम करने की कोशिश करते है तो कर नही पाते क्यंकि वह सारी जिन्दगी खुद को ही धोका देते आये है और दूसरी तरफ दुसरे लोग हर किसी की आलोचना का शिकार होकर छोटी जगह से शुरुआत कर अपना एक अलग ही मुकाम बना लेते है

जिन्दगी जीने के दो ही तरीके है .....................

अगर जिन्दगी जिनी है तो ............मै तो यही कहूँगा की इसे दो ही ढंग से जियो जैसे की( "3 idiots) फिल्म में भी दिखाया गया है की या तो भेद चाल चलो जो की सभी लोग चलते है ,दुसरो के बनाये हुए रास्ते में चलो और भीड़ में ही गुम हो जयो या फिर अपना अलग रास्ता बनाओ | मै कोई फ़िल्मी डालोग नही मार रहा बस इतना कहने की कोशिश कर रहा हूँ की अपने मन की सुन कर सिर्फ वही करो जो दिल कह रहा है क्यंकि जब भी आप अपनी अलग पहचान बनाना चाहोगे तो अक्सर होता यही है की जब आप लकीर से हट कर काम करते हो तो हर कोई आप पर हसता है और सभी के सामने आपका मजाक बनता है पर एक बार आप इन चुनोतियों को पार कर गए तो यही लोग आपको सलाम करेंगे और हर किसी को कहेंगे की कभी यह हमारे साथ होता था और दूसरी तरफ अगर आपने लोगो की बातो की प्रवाह कर अपना लक्ष्य छोड़ दिया तो फिर आप कभी भी अपनी मंजिल तक नही पहुंच पाओगे और एक भीड़ में किसी आम इंसान की तरह बन कर रह जाओगे आपने अक्सर देखा होगा की जब नया आदमी कुछ काम करने की कोशिश करता है तो वह गलत ही करता है जिसे देख सभी कई बार हस्ते भी है अगर वो लोगो के डर से काम छोड़ दे तो वह उस काम को कभी कर नही पायेगा एक बार वह उस काम को सीख गया तो वही हसने वाले लोग ही उसे सीखाने को बोलेंगे |

खुद को पहचानो,,,,,,मै कौन हूँ

ज्यादातर लोग अपने आप को पहचान ही नही पाते की वो खुद है क्या जिस कारण वह हमेशा सोचते ही रहते है और उन्हें पता नही चल पता की उनकी जिन्दगी का मकसद क्या है? और उन्होंने आगे करना क्या है जिस कारण वह कभी तरक्की नही कर पाते और हमेशा इल्जाम अपनी किस्मत पर थोपते रहते है दुनिया में कोई भी इन्सान उन्हें आसानी से बहका सकता और वो हमेशा भूले भटकी गलियों में घूमते रहते है | मेरे कहने का अर्थ है की वो जो करना चाहते है वह कर नही पाते और दुसरो के कहने पर चलते है अगर कोई दूसरा इंसान बढ़िया कर रहा है तो वह अपना काम छोड़ कर उसकी तरह बनने की कोशिश करते है और वह कम उम्र में ही बड़े - बड़े सपने देख कर अक्सर जिन्दगी में मार खाते है और ज्यादातर नाकामयाब होकर खुद को हताश कर बैठते है क्यंकि वह इस सच्चाई से अंजान है की वह जिन - जिन लोगो की नकल करना चाहते है वो लोगो की जिन्दगी इन कामो में निकल चुकी है और उन लोगो को यह काम करने में आनन्द आता है

Monday, February 15, 2010

नवयुवक खुद को पहचाने मे असमर्थ ................

आज की संघर्ष भरी जिन्दगी में हर किसी के मन में यही होता है की वह अपनी एक अलग पहचान बना सके |. बचपन से ही अपने माँ बाप की सुनाता है की तुमने बड़े होकर एक कामयाब इन्सान बनाना है | जिसके लिए वह कई बार मेहनत तो पूरी करता है पर कामयाब नही होता | कई बार हालत साथ नही देते उसकी मजबुरिया सामने आ जाती है तो कई बार लोगो की खिली के डर से पीछे हट जाता है | तो कई बार कामयाब होने से पहले ही अपने आप को बहुत बड़ा समझ कर लोगो के सामने बड़ी - बड़ी डींगे मारना शुरू कर देता है | और कुछ बनने से पहले ही अत्याधिक आतम विशवास की वजह से ही अपना काम खराब कर लेता है . और जिन्दगी में नाकामयाब साबित होता है यही है जिन्दगी की सचाई जो कोई नही समझ पाया | मै तो बड़ा होकर सचिन तेंदुलकर बनूंगा , मै शाहरुख खान बनूँगा , मै माइकल जेक्सन की तरह डांस करूंगा | हर किसी के मन में आजकल यही होता है की मै किसी ना किसी सितारे की तरह बनने | पर वह अपने अंदर की प्रतिभा को भूल कर आसमान को छूने के लिए बनावटी रुख अपनाता है जिसमे वह लाख कोशिशो के बाद भी कामयाब नही हो पता और कई बार जिन्दगी की भीड़ में गुमनाम सा हो जाता है | यकीन नहीं तो आपने अपने आसपास ऐसे कई लोग देखेगे होंगे जिनके अंदर प्रतिभा काफी छुपी होती है पर उसे पहचान नही पाते और उसका कोई भाई बंदु किसी और लाइन में बढिया है तो खुद को भूल कर उसकी तरह बनने की सोचते है याद कीजिये अपने किसी नजदीकी इंसान को सोचिये...............कुछ याद आया ???? जी बिलकुल मै बात कर रहा हु रोहित की,सोरब की , रुपाली की या रेशमा की जी अब आपको याद तो आ गया हो गया की जिसको आप जानते है उसके अंदर एक्टिंग की ,स्पोर्ट्स की या किसी और काम करने का हुनर होता है जब भी वह काम करता है तो मन लगाकर एकदम बढिया करता है और बहुत जल्द सीख कर उसमे निपुण हो जाता है पर बहुत कम लोग अपने अंदर की इस निपुणता को जान पाते है एक शोध के अनुसार दस में से चार लोग ही इसे पहचान पाते है |