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यहाँ ऐसा भी होता है !
जुगाड़ का दुसरा नाम इंडि़या
Monday, February 4, 2013
ਕੁਸ਼ਤੀ ਦੀ ਸ਼ਾਨ ਕਰਤਾਰ ਪਹਿਲਵਾਨ
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Wednesday, October 27, 2010
लादेन ने फिर दी अमेरिका को धमकी
लादेन ने फिर दी अमेरिका को धमकी
दुनिया के सर्वाधिक वांछित आतंकी ओसामा बिन लादेन ने अमेरिका को फिर धमकी दी है। ओसामा ने कहा है कि यदि वर्ष 2001 के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले की जिम्मेदारी लेने वाले खालिद शेख मुहम्मद को सजा-ए-मौत दी गई तो अल कायदा अपनी कैद में मौजूद अमेरिकी सैनिकों समेत सभी बंधकों को मार देगा। अल जजीरा टीवी पर गुरुवार को प्रसारित आडियो टेप में ओसामा ने कहा, जिस दिन अमेरिका खालिद मुहम्मद और अन्य को मौत की सजा देने का फैसला करेगा उसी दिन हम उन तमाम लोगों को खत्म कर देंगे जो हमारे कब्जे में हैं। ओसामा ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रपति जार्ज बुश के नक्शेकदम पर चल रहे हैं। उसने कहा, ह्वाइट हाउस के राजनेता हमारे खिलाफ अन्याय करते आ रहे हैं और वह अब भी जारी है। खासकर फलस्तीन में इजरायलियों के कब्जे का समर्थन कर के। जब तक हमारी जोरदार आवाज अल्लाह की मदद से 9/11 को उनके घर पर सुनाई नहीं दी थी तब तक वे सोचते थे कि समंदर के उस पार अमेरिका जुल्म के शिकार लोगों के गुस्से से सुरक्षित है। ओसामा की यह धमकी ओबामा प्रशासन द्वारा खालिद मुहम्मद व अन्य चार अभियुक्तों पर न्यूयार्क स्थित उस अदालत में मुकदमा चलाने की घोषणा के बाद आई है, जहां से चंद कदमों की दूरी पर कभी वर्ल्ड ट्रेड सेंटर हुआ करता था। खालिद व अन्य अभियुक्तों को गुआंतानामो जेल में रखा गया था। ये सभी 11 सितंबर 2001 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के अभियुक्त हैं। इससे पहले ओसामा का आखिरी आडियो टेप इसी साल 24 जनवरी को जारी किया गया था। उसमें एक अमेरिकी विमान में विस्फोट की कोशिश की जिम्मेदारी ली गई थी और कहा गया था कि यदि ओबामा फलस्तीन मुद्दे के समाधान के लिए कदम नहीं उठाते तो अमेरिका पर और हमले होंगे
दुनिया के सर्वाधिक वांछित आतंकी ओसामा बिन लादेन ने अमेरिका को फिर धमकी दी है। ओसामा ने कहा है कि यदि वर्ष 2001 के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले की जिम्मेदारी लेने वाले खालिद शेख मुहम्मद को सजा-ए-मौत दी गई तो अल कायदा अपनी कैद में मौजूद अमेरिकी सैनिकों समेत सभी बंधकों को मार देगा। अल जजीरा टीवी पर गुरुवार को प्रसारित आडियो टेप में ओसामा ने कहा, जिस दिन अमेरिका खालिद मुहम्मद और अन्य को मौत की सजा देने का फैसला करेगा उसी दिन हम उन तमाम लोगों को खत्म कर देंगे जो हमारे कब्जे में हैं। ओसामा ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रपति जार्ज बुश के नक्शेकदम पर चल रहे हैं। उसने कहा, ह्वाइट हाउस के राजनेता हमारे खिलाफ अन्याय करते आ रहे हैं और वह अब भी जारी है। खासकर फलस्तीन में इजरायलियों के कब्जे का समर्थन कर के। जब तक हमारी जोरदार आवाज अल्लाह की मदद से 9/11 को उनके घर पर सुनाई नहीं दी थी तब तक वे सोचते थे कि समंदर के उस पार अमेरिका जुल्म के शिकार लोगों के गुस्से से सुरक्षित है। ओसामा की यह धमकी ओबामा प्रशासन द्वारा खालिद मुहम्मद व अन्य चार अभियुक्तों पर न्यूयार्क स्थित उस अदालत में मुकदमा चलाने की घोषणा के बाद आई है, जहां से चंद कदमों की दूरी पर कभी वर्ल्ड ट्रेड सेंटर हुआ करता था। खालिद व अन्य अभियुक्तों को गुआंतानामो जेल में रखा गया था। ये सभी 11 सितंबर 2001 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के अभियुक्त हैं। इससे पहले ओसामा का आखिरी आडियो टेप इसी साल 24 जनवरी को जारी किया गया था। उसमें एक अमेरिकी विमान में विस्फोट की कोशिश की जिम्मेदारी ली गई थी और कहा गया था कि यदि ओबामा फलस्तीन मुद्दे के समाधान के लिए कदम नहीं उठाते तो अमेरिका पर और हमले होंगे
Wednesday, September 15, 2010
ਕੁਸ਼ਤੀ ਦੀ ਸ਼ਾਨ ਕਰਤਾਰ ਪਹਿਲਵਾਨ
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Thursday, July 29, 2010
कालज और युनिवर्सटी की गलती ने हमसे हमारा दोस्त जुदा कर दिया
कालज और युनिवर्सटी की गलती को सजा कोन सजा देगा !!!!!!!!!!
हमारा दोस्त हमसे जुदा कर दिया
अक्सर आपने सुना होगा की युनिवर्सटी या कालज में स्टुडेंट लापरवाही करते है जिसके बाद कालज और युनिवर्सटी उनको सजा अपने रुल के मुताबिक दे देती है पर आगे युनिवर्सटी या कालज प्रशासन गलती करे तो उन्हें सजा कोन देगा . इस बार जो युनिवर्सटी या कालज ने जो लापरवाही की शायद कभी माफ़ ना करने वाली थी. और इनका अपना गुंडाराज है इनको सजा देने की भला स्टुडेंट के पास ताकत कहा है . उन्होंने तो सीधा हमारा दोस्त हमसे जुदा कर दिया जो सबसे प्यारा और सबका दुलारा था. इनकी गलती ने किसी का साल और लाखो रुपए खराब कर दिया . और शायद किसी की अटूट यादो क सहारे कितनो को छोड़ दिया .
दोआबा कालज में मै अभी पत्रकारिता की पड़ाई कर रहा हु . और पिछले वर्ष हमारे युनिअर आये. जिनमे मथुरा से आया अतुल...... कब हमारे सब के बीच हमारे छोटे भाई जैसा बन गया पता ही नही चला ....... उसकी शरारते उसका दिमाग और अपनी बातो से सबका दिल जितने की अदा ने ही डिपार्टमेंट में उसे सबका दुलारा अतुल को बना दिया .और सभी अध्यापको को भी यह कहने पर मजबूर कर दिया की अगर शरारते सीखनी तो अतुल से सीखो. पड़ाई करनी तो अतुल से सीखो . सबसे अलग था वो . उसके पिता जी का देहांत हो गया था जिसके बाद घर चलाने की सारी जिमेदारी उसकी मां के कन्धो पर आ गयी थी .....अतुल अक्सर कहा करता की मुझे अपने रिश्तेदारों से प्यार नही मिला सिर्फ आप सब ने प्यार दिया . पता नही कैसा था वो पुरे डिपार्टमेंट से प्यार पा रखा था उसने ........... पर कालज ने किया क्या पहले तो अपने स्टुडेंट की संख्या बढ़ाने के लिये उसको एडमिशन दे दी पर बाद में पेपर के कुछ दिन पहले उसे बोल दिया की तुमने जहा बाहरवी की परीक्षा दी है वो युन्वर्स्टी रेकोग्नाएज नही है तुम्हारी बाहरवी की पडाई नही मानी जायगी . फिर कालज वालो ने कहा तुम अपनी जिमेदारी पर परीक्षा में भैठ सकते हो कल को कुछ हुआ तो हम तुम्हारी जिमेदारी नही लेंगे .अतुल ने परीक्षा दी और जहा . फिर भी उसने अछे नम्बर लिये . परेशान अतुल ने आखिर मन बना लिया की वह कालज छोड़ ही देगा और उसने नॉएडा में जागरण insitute में दाखिला ले लिया और छोड़ गया हम सबको अपनी यादो के सहारे .........सच में एसा अतुल कभी नही मिलेगा हमे .......... कालज ने अपने पैसे कमाने के लिये किसी की जिन्दगी के साथ खिलवाड़ किया बचो को हर गलती पर सजा देने वालो को अपनी गलती की सजा कोन दे सकता है . हमारा दोस्त हमसे जुदा कर दिया
डेल्ही की बस के लिये जालंधर बस स्टैंड पर हम दोस्त जब उसे छोड़ने जा रहे थे तो सब की आँखों में आंसू थे और जब उसे बस में बिठा कर वापिस आये तो उसने मोबएल संदेश से जो उसने अपने साथ बिताये हए पलो को उसने याद करवाया सब दोस्त सारी रात रोने के लिये मजबूर हो गये शायद सबको हसाने वाला जाते समय अपनी यादो से रुला गया उसके जाने के अगले दिन मै कालज भी ना जा पाया सब दोस्त उसे याद कर उसकी बाते ही कर रहे थे और अंदर से सब रो रहे थे की क्यों चला गया शायद उसकी किस्मत में उसकी तर्की वहा लिखी हो शायद !
कालज और युनिवर्सटी की गलती को कोन सजा देगा
हमारा दोस्त हमसे जुड़ा कर दिया . ........मै पूछता हु अब युन्वर्स्टी या कालज को कोन सजा दे जिसने हमारा दोस्त हमसे जुदा किया और उसका एक साल ............सच में वो रजा था सबके दिलो का .......अब हम सभी दोस्त यही दुया करते है वो वहा बढिया नम्बर लेकर पास हो और एक अछा पत्रकार बने .
दिल से हमेशा सब के दिलो में रहेगा अतुल
तेरे दोस्त साहिल , पंकज, गोरी, रजत , भावना, करिश्मा, शिवम् पूजा ,रतिका, सोनिका सन्नी शायद कभी ना तूझे भूल पायंगे .........
Thursday, July 22, 2010
जाऊ या न जाऊ आखिर करू तो क्या करू ???????????????????
जाऊ या न जाऊ आखिर करू तो क्या करू ???????????????????
ख्वाब थे की एक बार डेल्ही जरुर जाना है .वहा का माहोल जानना है .जलानाधर में मुझे elactronic मीडिया में करीब डेड साल हो चूका था . और अब मै डेल्ही की मीडिया को जानना चाहता था और उनके साथ काम करना चाहता था वहा के काम करने के ढंग को जानना चाहता था क्यंकि अगर डेल्ही में बारिश है तो पुरे देश में बारिश है इसलिए तकरीबन ढेड साल से डेल्ही में किसी चेनल में काम या आप इंटर्नशिप कह लो उसके लिए तकरीबन आठ महीने से कोशिश कर रहा था आखिरकार मुझे जी न्यूज़ के ऑफिस से अचानक काल आती है की आपकी जी न्यूज़ में इंटर्नशिप लग गयी है. आपको कल innterview के लिए आना है. अचानक आये काल ने मुझे समझ में नही आ रहा था मै क्या करू और अभी कुछ दिन पहले ही मेरी जिन्दगी की पहली नोकरी लगी थी नवां जमाना समाचारपत्र एक पत्रकार के तोर पर क्राएम बीट में . तो अब मै खुश भी था और उदास भी.... समझ नही आ रहा था जिन्दगी की पहली नोकरी छोडू या नॉएडा जाने का मोका.... जिसे मै पिछले आठ महीने से इन्तजार कर रहा था दोस्तों से पुछा तो सब ने अपनी अपनी राय दी अब आखरी फांसला मुझे ही लेना था. मैंने किसी तरह हिमत जुटा कर एक बार घर फोन कर दिया की मेरे कपड़े पैक कर दीजिये मै कल डेल्ही जा रहा हु. पर अभी पता नही था मुझे मैंने जाना है या नही...... आखिरकार मैंने समाचारपत्र वालो से एक दिन की छुटी मांगी और रात को दस बजे डेल्ही के लिए रवाना हो गया तीन बजे मेरा interview था और मै एक बजे ही पहुंच गये था तो उन्होंने मेरा interview पहले ही ले लिया और यहा मै पास हो गया उन्होंने कहा कल से ही आप आना शुरू कर दो पर अभी मुझे पता नही था की मैंने यह आना है या नही ! अब मै वापिस जालंधर आ रहा था interview में पास होने की जहा ख़ुशी थी तो वही कुछ न समझ पाने के गम भी था सारे रस्ते यही सोच रहा था आखिर क्या मै क्या करू मेरे सामने खाने की दो थाली पड़ी थी और दोनों प्लेट मेरी फेव्र्ट थी पर मुझे एक को छोड़ना है था अगले दिन अपने समाचार पत्र के दफ्तर पहुंचा और मीटिंग में यही सोच रहा था की क्या करु ??? मीटिंग खत्म हुई और सब चले गये पर मै वही बैठा सोच रहा था की क्या करू आखिर कार मैंने हिमत कर अपने बॉस अरुणदीप को फोन किया और उनको सारी बात बता दी मैंने खा आप जो कहेंगे मै वही करूंगा उन्होंने खा शाम को मिलते है और फिर बात करते है शाम तक मै सोच और ख्यालो की दुनिया में ही था शाम को सर मिले और उन्होंने कहा तू जाना चाहता है मैंने कहा जाना तो चाहता हु पर मै यह क्राइम बीट भी करना चाहता हु उन्होंने कहा तू जा मै सम्भाल लूँगा जब तू आयगा तो तेरी क्राइम बात तुझे ही मिलेगी मै उनकी बात सुनके हैरान हो गया और उनकी बात ने मेरा दिल जीत लिया मैंने जी में वह एक महिना इन्टरन की और वापिस आया तो देखा की सच में क्राइम बीत सर ने किसी को नही दी थी और यह फिर से मैंने अपना काम शुरू कर दिया सच में अरुण सर को दिल से सलाम जिन्होंने मुझे समझा और मेरे लिए इतना कुछ किया तभी तो कहता हु मेरे देश में असा भी होता क्यंकि यहा असे भी लोग है जो एक दूजे को समझते है
Wednesday, May 19, 2010
फिल्म बनाना आसान नही मुझे तब पता चला !!!!!!!!!!!!!!!!
कहते है कालज में मस्ती का मजा कुछ और ही होता है और मै तो कालज में मस्ती के लिये ही जाना जाता हु . मै अपने क्लास में कम दूसरी क्लास में रहना ज्यादा पसंद करता हु और कभी ध्यान में नही रखता की मेरे साथ मेरी क्लास के नही मेरे सीनिअर साथ है . तभी तो बिना सोचे समझे उनसे हर बात कह देता हु और शायद यही वजह थी की उस दिन मुझे फिल्म की बारीकिया सीखने के लिये वर्कशॉप में शामिल के लिया गया . आप भी सोच रहे होगे हुआ कोन सी पहेलिया बुझा रहा है है और क्या बात कर रहा है . असल में हुआ यू की पिछले दिनी हमारे कालज में फिल्म बनाने और उनकी छोटी छोटी बाते समझाने के लिये डेल्ही से विशेष तोर पर डिरेक्ट्र ' कुलदीप कुनाल ' को बुलाया गया .अरे भई कुलदीप सर जितने अछे वर्सेटाइल डिरेक्ट्र है उससे भी कही अछे इंसान है उनके साथ पन्द्रह दिन रह कर हमे पता चला की वो कभी भी हार ना मानने वाले इंसान है . कुलदीप सर कई शोर्ट फिल्म बना चुके है और आज उनकी डेल्ही और मुम्बई में उनकी अपनी खुद की पहचान है . इतने बड़े इंसान होने के बावजूद उन्होंने हमे कभी अपनी बड़ी छवि होने का अहसास नही होने दिया .उन्होंने हमारे साथ बिलकुल दोस्तों जेसा रवैया अपनाया .आप भी सोच रहे होंगे की कहा किसकी तारीफे करी जा रहा है ???? और क्यों ?????? तो मै आपको बता ही देता हु की बात क्या है और सच में तारीफ़ के काबिल क्यों है ...................
कुलदीप कुनाल सर दूसरी बार हमने कालज में फिल्म मेकिंग की बारेकिया सिखाने आ रहे थे तो मुझे मेरे दोस्त ने कहा की तू काजर कुनाल सर को ले आ . वो अच् . ऍम वी कालज आये हुए है मै उन्हें लेने चला गया. तब उनसे मेरी मुलाकात दूसरी बार हुयी थी पहली बार भी अछी तरह से नही मिल पाया था .रास्ते में बातचीत शुरू हो गयी मैंने उन्हें बताया की मै जालंधर में किसी चेनल के लिये रिपोर्टिंग करता हु. मै आपसे फिल्म की बारीकिया सीखना चाहता हु पर इस बार लगता नही की मे सीख पाउँगा क्यंकि यह वर्कशॉप सिर्फ मास्टर क्लास के बच्चो के लिये है . उन्होंने कहा की अगर सच में सीखना चाहता है तो आ जाना "मै हु ना " मै हिमत कर अगले दिन वर्कशॉप की क्लास लगाने चला गया तो उझे पहले मेरी मैम ने मना कर दिया उन्होंने कहा की यह सिर्फ मास्टर क्लास के बच्चो के लिये है पर मै फिर भी बेशर्मो की तरह कुनाल सर के पास चला गया और यकीन मानिये उन्होंने भी मुझे निराश नही होने दिया उन्होंने मैम को बोलकर मुझे वर्कशॉप लगाने के लिये रख लिया
अब क्या था मै अपनी क्लास का इकलोता बच्चा था जिससे मै और भी ज्यादा खुश था की मुझे सीखने का काफी मोका मिलेगा .सीनियर के साथ तो मेरी पहले ही खूब बनती थी और उन पर मै अपना पूरा रोब तो पहले से ही डालता था अरे भई डालु भी क्यों ना..................... कालज में सबसे ज्यादा घुला मिला जो इनके साथ था .उन पन्द्रह दिनों में उझे फिल्म की छोटी छोटी बारेकिया सीखने का पता चला . पता लगा की जिस तीन घंटे की फिल्म की कुछ झलकिया देखने के बाद जिसे हम सिरे से नकार देती है .उसमे कितने लोगो की मेहनत लगती है. और केमरा के आगे हीरो हेरोइन जो फिल्म का सारा श्रे ले जाते है उनसे भी कही ज्यादा मेहनत केमरा के पीछे काम करने वालो की होती है ........वो केसे दिन रात एक कर मेहनत करते है और कितनी मुश्किल से फिल्म बनाते है........ चाहे उसमे प्रोडकशन का काम करने की बात हो या प्री प्रोडकशन सभी काम कितने सारे लोग मिलकर बनाते है जिसे हम आसानी से नकार देते है
खैर छोड़िये इन सब बातो को मुझे उन दिनों काफी कुछ सीखने को मिला जिन्हें मै कभी भूल नही सकता वो मेरी जिन्दगी के सबसे अहम दिनों में से एक थे.
Monday, April 26, 2010
आशचर्यजनक ख़ुशी देने वाला रिजल्ट......................
कोलेज मे पहली बार प्री सेमेस्टर परीक्षाओ का रिजल्ट कुछ इस कदर आशचर्यजनक व ख़ुशी देने वाला था की सहपाठियो ,मित्रो और परिवार वालो ने यह बात मान ही ली थी की मे यूनिवर्सिटी टॉप करुँगी | मुझे भी कही ना कही लग रहा था शायद स्कूल की औसत छात्र कुछ खास कर जाये | प्री सेमेस्टर आने पर दिल और दिमाग से पढाई की | दिल मे अपने माता - पिता को ख़ुशी दिलवाने की बात थी तो दिमाग मे अपने मित्रो की उमीदो पर खरे उतरने की | परीक्षाएं भी अच्छी गई सभी प्रशनों के ढंग से उतर दिए , जितना लिख सकती थी उससे कही ज्यादा लिखने की कोशिश की | परीक्षाएं खत्म हुई तब से लेकर परिणाम आने तक सभी के मान में यह बात थी की गौरी ही टोपर आयेगी , हमे तो सोचना भी नहीं चाहिए | इस प्रकार कुछ लोग तो ख़ुशी से यह बात मुझसे कहते पर कुछ ईर्ष्या के मारे वही कहते - कहते चले जाते | ऊपर से तो मेरे दोस्त होने का दिखावा पर अंदर से ईर्ष्या , पर उधर मेरे सर हर ईर्ष्या मे मुझे बचाने मे मेरा साथ देते | हमेशा मुझे समझाते की तुम्हें इन सब बातो पर गौर ना कर आगे बढना है .... टोपर तुम्हे ही आना है | मे भी इस बात पर खुश हो कर सब कुछ भूल जाती | रिजल्ट वाले दिन सर क्लास मे आये और कहने लगे की कल रात मैंने एक सपना देखा जिस मे तुम मेरे पास भागते हुए अपने टॉप आने की खबर सुनाने आती हो | सर की यह बात सुन सारी क्लास मे बठे मेरे सभी दोस्त मेरी तरफ देखने लगे .....कुछ ख़ुशी से तो कुछ दुखी से ....यह सोच कर की सर को रिजल्ट पता चल गया है बस सपने का बहाना बना कर अभी हम सबको बता रहे है | इस सपने ने सभी को एक धोके मे डाल दिया पर मुझे एक अलग ख़ुशी का अनुभव करवाया गया | पर यह ख़ुशी कुछ देर के लिए ही थी | कुछ समय बाद रिजल्ट का पता चला की में यूनिवर्सिटी मे ना तो पहला , दूसरा और ना ही तीसरा स्थान हासिल कर पाई हूँ | मैंने इस रिजल्ट मे यूनिवर्सिटी मे चौथा स्थान हासिल किया था | यह खबर मुझे सुनाने , मेरे दोस्त स्टूडियो मे ख़ुशी से तो जरुर भागते हुए आये लेकिन कहीं ना कहीं वह भी जानते थे की जो चाहा था वो नहीं हो पाया | उस वक्त बाकि सभी मेरे दोस्त , मेरे सिनियर्स मुझे मुबारक बात दे रहे थे ......पर मुझे समझ नहीं आ रहा था की खुश होकर बाकियों की तरह अपनी अधूरी जीत का जशन मनाऊँ जा अपनी आधी हार का गम | पर अपने सर के कहने पर जब मैंने यह खबर अपने पापा को बताई तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा | पापा के बाद मुझमे इतनी हिम्मत नहीं थी की मम्मा को फोन कर यह बता सकूं , पर पापा का फोन रखने के बाद मम्मा का फोन खुद ही आ जाता है और पहली बार मैंने अपनी मम्मा को मेरे लिए ख़ुशी से रोते हुए देखा | उस पल ने मुझे रुलाया जरुर पर मुझे यह एहसास दिलाया की जितना हो सके मुझे अपने मम्मा - पापा को इसी तरह ख़ुशी से अपने लिए बार - बार रोते हए देखना है |
अब दूसरे सेमस्टर कई परीक्षाएं आने वाली है ...प्लीज मेरे लिए भागवान से प्रार्थना करना की मेरे मम्मा -पापा मेरे लिए ख़ुशी से इक बार फिर रो पड़े और मुझे फिर एक नया गिफ्ट मिले |
तभी तो कहता हु की मेरे देश में ऐसा भी होता है ..............
तभी तो कहता हु की मेरे देश में ऐसा भी होता है ..............
लेखक - गौरी दुग्गल
धन्यवाद - पंकज कपाही
धन्यवाद - पंकज कपाही
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