Monday, April 26, 2010

आशचर्यजनक ख़ुशी देने वाला रिजल्ट......................

कोलेज मे पहली बार प्री सेमेस्टर परीक्षाओ का रिजल्ट कुछ इस कदर आशचर्यजनक व ख़ुशी देने वाला था की सहपाठियो ,मित्रो और परिवार वालो ने यह  बात मान ही ली थी की मे यूनिवर्सिटी टॉप करुँगी | मुझे भी कही ना कही लग रहा था शायद स्कूल की औसत छात्र कुछ खास कर जाये | प्री सेमेस्टर आने पर दिल और दिमाग से पढाई  की | दिल मे अपने माता - पिता को ख़ुशी दिलवाने की बात थी तो दिमाग मे अपने मित्रो की उमीदो पर खरे उतरने की | परीक्षाएं भी अच्छी गई सभी प्रशनों के  ढंग से उतर दिए , जितना लिख सकती थी उससे कही ज्यादा लिखने की कोशिश की | परीक्षाएं खत्म हुई तब से लेकर  परिणाम आने तक सभी के मान में यह बात थी की गौरी ही टोपर आयेगी , हमे तो सोचना भी नहीं चाहिए | इस  प्रकार कुछ लोग तो ख़ुशी से यह बात मुझसे कहते पर कुछ ईर्ष्या के मारे वही कहते - कहते चले जाते | ऊपर से तो मेरे दोस्त होने का दिखावा पर अंदर से ईर्ष्या , पर उधर मेरे सर हर ईर्ष्या मे मुझे बचाने  मे मेरा साथ देते | हमेशा मुझे समझाते की तुम्हें इन सब बातो पर गौर ना कर आगे बढना है .... टोपर तुम्हे ही आना है | मे भी इस बात पर खुश हो कर सब कुछ भूल जाती | रिजल्ट वाले दिन सर क्लास मे आये और कहने लगे की कल रात मैंने  एक सपना देखा जिस मे तुम मेरे पास भागते हुए अपने टॉप आने की खबर सुनाने आती हो | सर की यह बात सुन सारी क्लास मे बठे मेरे सभी दोस्त मेरी तरफ देखने लगे .....कुछ ख़ुशी से तो कुछ दुखी से ....यह सोच कर की सर को रिजल्ट पता चल गया है बस सपने का बहाना बना कर अभी हम सबको बता रहे है | इस  सपने ने सभी को एक धोके मे डाल दिया पर मुझे एक अलग ख़ुशी का अनुभव करवाया गया | पर यह ख़ुशी कुछ देर के लिए ही थी | कुछ समय  बाद रिजल्ट का पता चला की में यूनिवर्सिटी मे ना तो पहला , दूसरा और ना ही  तीसरा स्थान हासिल कर पाई हूँ | मैंने इस रिजल्ट मे यूनिवर्सिटी मे चौथा स्थान हासिल किया था | यह खबर मुझे सुनाने  , मेरे  दोस्त स्टूडियो मे ख़ुशी से तो जरुर भागते हुए आये लेकिन  कहीं ना कहीं वह भी जानते थे की जो चाहा था वो नहीं हो पाया | उस वक्त बाकि सभी मेरे दोस्त , मेरे सिनियर्स मुझे मुबारक बात दे रहे थे ......पर मुझे समझ नहीं आ रहा था की खुश होकर बाकियों की तरह अपनी अधूरी जीत का जशन मनाऊँ जा अपनी आधी हार का गम | पर अपने सर के कहने पर जब मैंने यह खबर अपने पापा को बताई  तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा | पापा के बाद मुझमे इतनी हिम्मत नहीं थी की मम्मा को फोन कर यह बता सकूं , पर पापा का फोन रखने  के बाद मम्मा का फोन खुद ही आ जाता है और पहली  बार मैंने अपनी मम्मा को मेरे लिए ख़ुशी से रोते हुए देखा | उस पल ने मुझे रुलाया जरुर पर मुझे यह एहसास दिलाया की जितना हो सके मुझे अपने मम्मा - पापा को इसी तरह ख़ुशी से अपने लिए बार - बार  रोते हए देखना है | 
अब दूसरे सेमस्टर कई परीक्षाएं आने वाली है ...प्लीज मेरे लिए भागवान से प्रार्थना करना की मेरे मम्मा -पापा मेरे लिए ख़ुशी से इक बार फिर रो पड़े और मुझे फिर एक नया गिफ्ट मिले  |  
तभी तो कहता हु की मेरे देश में ऐसा भी होता है ..............
  
    लेखक - गौरी दुग्गल                
    धन्यवाद पंकज कपाही                                                                                                                                    

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