हर बार चुनावो के दोरान होता है खिलवाड़ !
पंजाब विधानसभा चुनावो को अभी २ साल बाकी है | विपक्ष में बैठे कांग्रेसियो ने अपने अपने हलके में दुआरा से चुनावी तेयारिया करनी शुरू कर दी है | कांग्रेस के उम्मीदवार जो इन चुनावो में अपनी किस्मत अजमाना चाहते है उन्होंने नुकड़ बैठके करके तथा लोगो के घरो में जाकर सम्बन्ध बनाने शुरू कर दिए है | चाहे पंजाब कांग्रेस त्रिकोनी रूप धारण कर चुकी है | एक और पूर्व मुख्या मंत्री केप्टन अमरिंदर सिंह दुसरे और विपक्ष की नेता राजिंदर कौर भठल तथा तीसरे तरफ पंजाब कांग्रेस के प्रधान महिंदर सिंह के. पी. है | कांग्रेस के जो उम्मीदवार टिकट के चाहवान है वो इन तीन लोगो के सम्पर्क में रहकर टिकट के ऊपर अपनी दावेदारी जता सकते है | आने वाले समय में ही यह पता लग पायेगा की कांग्रेस हाईकमान किसके हाथ में पंजाब की कमान थमाती है | अभी तक तो कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब कांग्रेस प्रधान की जिमेदारी किसी के सिर पर नहीं दी है |इस बार विधानसभा चुनावो में यह बात देखने योग्य होगी की राहुल गाँधी कितनी युवा पीडी को चुनावो में उतारते है | लोकसभा चुनावो में उन्होंने पंजाब में तीन युवाओ को चुनावो की टिकट दी थी | जिनमे से दो सीटो को जीतकर इन यूवाओ ने राहुल गाँधी का हौसला बढाया था | दूसरी तरफ भाजपा और अकाली दल ने भी अपने उमीदवारो को उतारने के लिये विशेष रनरीती बना रहे है तांकी कांग्रस को मात दी जाये . कांग्रेस पार्टी भी इस बार उन गलतियों को सुधराना में लगी है जो गलतियाँ उन्होंने पिछले विधानसभा चुनावो में की थी और उनको हार का मुह देखना पड़ा था | वैसे तो चुनावो को नजदीक देख आते हर एक चुनावी पार्टिया वादे करती रहते है | परन्तु चुनाव ख़तम होते ही अपने हलके में से उम्मीदवार गायब हो जाते है | बड़ी बड़ी रेलियो में चुनावो के दोरान राजनितिक पार्टी के नेता मुफ्त बिजली देने का, किसानो को अधिक सहुलते पर्दान करवाना; शहर की मुश्किलों को पहल के अधार पर देखना जैसे वादे करते है परन्तु चुनाव जीतने के बाद सभी लाल बतियो वाली कारो में आराम से घूमते है और सरकारी कोठियो में जाकर डेरे डाल लेते है | यह सरकारी कोठियो में रहने वाले मंत्री क्या दर्द जाने जो की झुकी झोपडियो में गरीब लोग रहते है जिनसे उन्होंने चुनावो के दोरान झूठे वादे करके वोट लिए और उनको झूठे सपने दिखाए | चुनाव ख़तम होते ही यह मंत्री इन गरीबो का दर्द भूल जाते है | कहा जाता है की गरीब लोगो को वोट पैसे ही लेकर डालनी चाहिए क्यूंकि चुनावो के बाद कोण सा उनकी किसी ने सुननी है और न उनका कोई काम होना है | इसलिए जो पैसे उनको चुनावो के समय मिलते है वही पैसे उनके अपने है | मै मजाक नही कर रहा आपने खुद हर बार देखा होगा की चुनाव के समय यह मंत्री आम जनता को खुश करने के लिये तांकी उनसे वोट हथिया सके उन दोरान करोड़ो रूपये खर्च एसे ही करते है तांकी उनको वोट मिल सके तभी तो चुनावो के समय तो खूब दारू की पेटीया चलती है और खूब नोटों की वर्षा होती है. गरीबो की वोट शरेआम खरीदी जाती है. मै तो यु कहूंगा की कहने को तो भारत एक लोकतंत्र सरकार है पर सब जानते है की देश में कितनी लोक्त्नत्र्ता देखने को मिलती है . आप भी जानते है की लोक सभा या विधानसभा के चुनावो में कितने आम लोग प्रतिनिधि के तोर पर खड़े हो सकते है हर वर्ष परिवारिक गद्दी ही अपने बच्चो को हर पार्टी सौप रही है चाहे उसका कोई कार्यकर्ता पार्टी के लिये कितनी भी सेवा कर ले और चाहे वो उस पद के काबिल हो फिर भी वहा भी भी सियासत ही चलती है | मै आपसे सवाल करता हु सरकार हर वर्ष नरेगा जसी कई स्कीमो पर पैसा खर्च करती है पर कभी किसी गरीब से पुचा गया है की आपको नरेगा या उससे तमाम स्कीमो के बारे में कितनी जानकारी है . ज्यादातर गरीबो को मिड डे या नरेगा के बारे में तो कोई जानकारी भी नही है .तभी तो हर वर्ष इनका यह पैसा सभी मंत्री अपने अपने दर्जे के हिसाब से खाते है .लेखक ध्नयवाद
साहिल गुप्ता पंकज कपाही
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