Saturday, March 6, 2010

देश के राष्ट्रिय खेल का बुरा हाल होने कि वजह में कही न कही क्रिकेट जिमेदार....................

आज देश के हर बच्चे के मन में क्रिकेट खेलने कि ललक होती है वह कही भी कोई भी जगह बनाकर क्रिकट खेलना शुरू कर देते है जिस किसी से भी पूछो आप क्या बनना चाहते है तो वो कहता है कि मै सचिन बनना चाहता हूँ मै महिंदर सिंह धोनी जेसा बनना चाहता हूँ पर किसी के मन में यह नही होता कि मै धनराज पिल्लै कि तरह बनू या शिवेंद्र सिंह कि तरह कोई नही कहता कि मै हाकी खेलना चाहता हूँ उन्हें उस प्रकार का माहोल नही मिलता कि उनके मन में हाकी खेलने कि ललक पैदा हो उन्हें हाकी खेलने के लिए गुण नही मिल पाते जबकि हर कोई अपने गली मोहले में या घर में बैठ कर ही क्रिकट खेलना शुरू कर देता है शुरू से ही उनके मन में ही क्रिकेट खेलने का जनून पैदा होता है उपर से हमारी मीडिया क्रिकेट को इतना दिखाती है की हर कोई क्रिकट देखने में मुशकल हो जाता है क्योंकि मीडिया जो दिखाती है की उसे ही भारत के लोग मानते है उपर से हर विज्ञापन पर क्रिकटर छाए हुए है और साथ में बॉलीवुड के स्टार के साथ उनका तड़का देखने को मिलता है जिस वजह से हाकी टीम के सदस्यों का मनोबल निचे गिरता है और वह अपना प्रदर्शन खराब कर बैठते है जिस वजह से देश का राष्ट्रिय खेल होने के वावजूद हाकी का भविष्य खतरे में जाता दिखाई दे रहा है |

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