Sunday, March 28, 2010

मजाक हर समय नहीं किया जाता.................





कुछ दिनों बाद कोलेज गया तो जाकर पता चला की कोलेज की तरफ से धर्मशाला का ट्रिप बन चूका था और हमारे एच ओ ड़ी सर ने सभी अध्यापक बुलाकर लगभग सुनिशित कर दिया था पर हम तीनो एस एस पी यानि की साहिल , शिवम ओर पंकज ने सोचा क्यों ना धर्मशाला की बजाये वैष्णो देवी जाने का ट्रिप बनाया जाये फिर क्या था तीनो लग गये अपने - अपने ढंग से अध्यापको को मनाने पहले तो कोई भी मानने को तेयार नही था पर हमने पहले अपने हरमन प्यारे सर जो हमारी कोई बात नही टालते मानव सर को मना लिया | उन्होंने हमे बताया की कौन - कौन जाने को तेयार है ओर फिर हमने अपना नया प्लान बनाया जिसमे पहले बी जी एम् सी फस्ट इयर के सभी छात्रों को वैष्णो देवी जाने के लिये मनाया ओर फिर अध्यापको को मनाना शुरू कर दिया यह आसान नही था पर हमारे जोर के आगे वो मान ही गये मै ओर सहिल जाकर पहले रेलवे की टिक्ट का पता करने गये पर रणवीर सर लडकियों को ट्रेन में भेजने से डरते थे तो बस फ़ाइनल कर दी | उसके बाद हम दो दिन समाचार में व्यस्त रहने की वजह से कोलेज ना जा सके उपर से शिवम इंडियन आइडल के ऑडिशन के लिये नोयडा चला गया | कोलेज गये तो बस के पेसे मांगने लगे मैंने मजाक में बोल दिया कि अभी ए टी ऍम से निकलवा कर दी देता हूँ , दोनों मजाक करने लगे और बस के पेसे जमा नही किये मजाक में कहा की हमने नही जाना | सभी को लगा की मजाक कर रहे है उस दिन मै कालज नही गया ओर मुझे सभी मानते रहे कि जाना जरूर है पर मै मजाक में मना करता रहा | रुद्रा भैया की मै कोई बात नही टालता मुझे ऑफिस बुलाया ओर सभी मनाने लगे की तुझे जाना है और मै रात को सात बजे मान गया कि मै जाने को तेयार हूँ | पर तभी साहिल अड़ गया की मैंने नही जाना सभी ने उसे खूब मनाया पर वो नही माने | फिर सभी को लगा की इनका खुद का बनाया प्रोग्रम है यह भला कैसे रह सकते है | सभी को लगा की सुबह बस में आकर सरप्राइज देंगे पर हम लोग सच में नही गये सुबह जब फोन आया की बस चलने लगी है तो हमे लगा की हम अपनी गलती ओर मजाक की वजह से रह गये है फिर मैंने फिरोजपुर जाने का प्रोग्राम बनाया | जब बस स्टैंड पर पहुंचा तो सामने कटरा की बस लगी हुई थी | पर हमारा तीसरा साथी शिवम फिरोजपुर था इसलिए हमने फिरोजपुर की ही बस पकड़ी | सभी के लगातार फोन आ रहे थे भैया प्लीज आ जाओ | हम दोनों एक दुसरे की तरफ मुस्करा रहे थे पर अंदर से अपनी बेकूफी और मजाक से पछता रहे थे कि सारे रस्ते मन में एक ही प्रशन था कि आखिर अपने ही बनाये प्रोग्राम को बिना कोई बात के खुद मना किया | जिन्दगी की सबसे बड़ी गलती की और दोस्तों को भी दुखी किया 
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