Thursday, July 22, 2010

जाऊ या न जाऊ आखिर करू तो क्या करू ???????????????????


जाऊ या न जाऊ  आखिर करू तो क्या करू ???????????????????
ख्वाब थे की एक बार डेल्ही जरुर जाना है .वहा का माहोल जानना है .जलानाधर  में मुझे elactronic मीडिया में करीब डेड साल हो चूका था . और अब मै डेल्ही की मीडिया को जानना चाहता था और उनके साथ काम करना चाहता था वहा के काम करने के ढंग को जानना चाहता था क्यंकि अगर  डेल्ही में बारिश है तो पुरे देश में बारिश है इसलिए तकरीबन ढेड साल से डेल्ही में किसी चेनल  में काम या आप इंटर्नशिप कह लो उसके लिए तकरीबन आठ महीने से कोशिश कर रहा था आखिरकार मुझे  जी न्यूज़ के ऑफिस से अचानक काल आती है की आपकी जी न्यूज़ में इंटर्नशिप लग गयी है. आपको कल innterview   के लिए आना  है. अचानक आये काल ने मुझे समझ में नही आ रहा था मै क्या करू और अभी कुछ दिन पहले ही मेरी जिन्दगी की पहली नोकरी लगी थी  नवां जमाना समाचारपत्र  एक पत्रकार के तोर पर क्राएम  बीट  में .   तो अब मै खुश भी था और उदास भी....  समझ नही आ रहा था जिन्दगी की पहली नोकरी छोडू या नॉएडा जाने का मोका.... जिसे मै पिछले आठ महीने से इन्तजार कर रहा था दोस्तों से पुछा  तो सब ने अपनी अपनी राय दी अब आखरी फांसला मुझे ही लेना था. मैंने किसी  तरह हिमत जुटा कर एक बार घर फोन कर दिया की मेरे कपड़े पैक कर दीजिये मै कल डेल्ही जा रहा हु. पर अभी पता नही था मुझे मैंने जाना है या नही...... आखिरकार मैंने समाचारपत्र वालो से एक दिन की छुटी मांगी और रात को दस बजे डेल्ही के लिए रवाना हो गया तीन बजे मेरा interview था और मै एक बजे ही पहुंच गये था  तो उन्होंने मेरा interview पहले ही ले लिया और यहा मै पास हो गया उन्होंने कहा कल से ही आप आना शुरू कर दो पर अभी मुझे पता  नही था की मैंने यह आना है या नही ! अब मै वापिस जालंधर आ रहा था interview में पास होने की जहा ख़ुशी थी तो वही कुछ न समझ पाने के गम भी था सारे रस्ते यही सोच रहा था आखिर क्या मै क्या  करू मेरे सामने खाने की दो थाली पड़ी थी और दोनों प्लेट मेरी फेव्र्ट  थी पर मुझे  एक को छोड़ना है था अगले दिन  अपने समाचार पत्र के दफ्तर पहुंचा और मीटिंग में यही सोच रहा था की क्या करु ??? मीटिंग खत्म हुई और सब चले गये पर मै वही बैठा सोच रहा था की क्या करू आखिर कार मैंने हिमत  कर अपने बॉस अरुणदीप को फोन  किया और उनको सारी बात बता दी मैंने खा आप जो कहेंगे मै वही करूंगा उन्होंने खा शाम को मिलते है और फिर बात करते है शाम तक मै सोच और ख्यालो की दुनिया में ही था शाम को सर मिले और उन्होंने कहा तू जाना चाहता है मैंने कहा जाना तो चाहता हु पर मै यह क्राइम बीट  भी करना चाहता हु उन्होंने कहा तू  जा मै सम्भाल लूँगा जब तू आयगा तो तेरी क्राइम बात तुझे ही मिलेगी मै उनकी बात सुनके हैरान हो गया और उनकी बात ने  मेरा दिल जीत लिया मैंने जी में वह एक महिना इन्टरन की और वापिस आया तो देखा की सच में क्राइम बीत सर ने किसी को नही दी थी और यह फिर से मैंने अपना काम शुरू कर दिया  सच में अरुण सर को दिल से सलाम जिन्होंने मुझे समझा और मेरे लिए इतना कुछ किया तभी तो कहता हु मेरे देश में असा भी होता क्यंकि यहा असे भी लोग है जो एक दूजे को समझते है

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