Friday, April 16, 2010

रिश्तो की हत्या !


रिश्तो की हत्या !




भारत अपनी सभ्यता और संस्कृति के लिये शुरू से ही  जाना जाता है चाहे बात राम युग की करे जिसमें  एक बाप की कसम की खातिर बेटे ने बिना पूछे चोदह वर्ष का बनवास काटा हो और भाई और पत्नी ने भी अपना महल छोड़ बनवास में जाना पसंद किया या बात करे सीखी को बचाने के लिये अपने पिता गुरु तेग बहादुर जी को शहीदी के लिये गुरु गोबिंद सिंह जी का कहना !  उस समय  भारत  में सबसे ज्यादा रिश्तो को अहमियत दी जाती थी पर मेरा मानना  है की वक्त  बदलने के साथ  - साथ रिश्ते भी खत्म होते जा रहे है ओर रिश्तो से विश्वास उठता जा रहा है | लगातार समाचारों में पड़ने को को मिल रहा है की अपनी मुंह बोली बहन के साथ बलात्कार करता पकड़ा जाता है माँ अपने बच्चो  को जहर देकर  मार रही है बाप अपनी बेटी के साथ मुंह कला करता पकड़ा जाता है  तो कभी बेटा अपने बूढ़े माँ - बाप को घर  से बाहर निकाल  देता है | कल ही बठिंडा  में एक मासी ने पैसों की लालच में अपने भांजे का कत्ल कर दिया .अगर अपने ही इस तरह से विश्वासघात करेंगे तो दुसरो पर केसे  विश्वास रहेगा | कही ना कही भारत अब पहले जेसा  नही रहा यहाँ  के लोग रिश्तेदारी को खत्म करते जा रहे है  मैंने अक्सर देखा है की आपके दोस्त और रिश्तेदार तभी आपके पास आयेंगे जब उनको आपकी जरुरत  पड़ेगी इससे पहले तो वो आपको मिलना तो दूर बुलाना भी पसंद नही करेंगे अगर कही आपके खास रिश्तेदार आपसे दोलत में आगे निकल गये है तो वह एकदम से आपको भूल जायेंगे और अगर कल को आप कुछ  बन जाते है तो वह फिर बिना किसी श्रम के दोबारा आपके पास अपना काम निकलवाने के लिये आयेंगे और बोलेंगे की यह हमारा रिश्तेदार है हमारा बच्चा  है फिर वह आपको बुलाना पसन्द करंगे क्या सच में हमारे देश का सभ्याचार इतना बदल चूका है की रिश्ते अब मतलब के लिये रह गये है कहा गया मेरा भारत जो अपने रिश्तो और सभ्याचार के लिये जाना जाता था चाहे आज हम अंग्रेजो से आजाद होकर काफी तरकी कर रहे  है पर पीछे मुद कर देखे तो  हम अपने रिश्तो को बहुत पीछे छोड़ आये है !

2 comments:

  1. aaj kal to bahar kya hum apne ghar me bhi surkshit nhi hai aaj rishto se vishvas uthata najr aa rha hai kyuki rishte nibhane walo ke maan me rishto ki ehmiyat kam ho gyi hai...........

    ReplyDelete
  2. बच्चो को आजकल पश्चमी सभ्यता की चमक ज्यादा आकर्षित कर रही है जिसको अपना कर वह अपने देश की संस्कृति को भुलाई जा रहे है बच्चे अपने माता - पिता , भाई - बहन के relation ठीक तरह से निभा नहीं पा रहे ,जिससे देश के हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे है |

    ReplyDelete